झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / state

मौसम के आगे झुकने को तैयार नहीं अन्नदाता, कम बारिश में भी खेतों में रोपनी कर रहे किसान - Jharkhand news

मानसून की बेरूखी और मौसम की मार के आगे अन्नदाता झुकने को तैयार नहीं हैं. मानसून सत्र में झारखंड में कम बारिश और सुखाड़ की स्थिति को लेकर चर्चा की जा रही है. विपक्ष प्रदेश को सुखाड़ क्षेत्र घोषित करने की मांग कर रहा है. लेकिन झारखंड में अकाल की स्थिति पर भी प्रदेश के किसान खेतों में फसल लगा रहे हैं.

Farmers planting crops in fields even on condition of famine in Jharkhand
झारखंड

By

Published : Aug 2, 2022, 8:19 AM IST

Updated : Aug 2, 2022, 8:46 AM IST

रांचीः झारखंड में मानसून की बारिश सामान्य से 48% कम हुई है तो 24 में से 22 जिलों में सामान्य से काफी कम बारिश अभी तक हुई है. चतरा, गढ़वा, पलामू, साहिबगंज, पलामू सहित कई जिलों की हालत काफी खराब है. ऐसे में कम वर्षा की वजह से राज्य में जहां अभी तक करीब 15% धान का आच्छादन यानि रोपनी हुई है तो खरीफ फसल की कुल मिलाकर 25% के करीब ही आच्छादन हुआ है.

इसे भी पढ़ें- झारखंड में सुखाड़ जैसे हालात! कृषि निदेशालय बता रहे कम दिनों में तैयार होने वाले धान के कौन से किस्म लगाएं किसान


सोमवार को झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सदन में सुखाड़ जैसे हालात पर चर्चा हुई. लेकिन रांची के कई इलाकों में सोमवार को थोड़ी बारिश भी हुई. थोड़ी सी वर्षा से ही उत्साहित पानी में भिगते हुए और पंप सेट से खेतों में रोपनी भर पानी की व्यवस्था कर धान के बिचड़े लगाते दिखे. अपनी जीवटता का परिचय देने वाले अन्नदाताओं को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में अच्छी वर्षा होगी और इसी उम्मीद में वह धान की रोपनी कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि सदन में सरकार सुखाड़ को लेकर गंभीर है, यह अच्छी बात है लेकिन किसानों को मदद मिलनी चाहिए. किसानों ने माना कि पानी नहीं होने के चलते धान रोपनी पर असर पड़ा है.

देखें पूरी खबर

सभी जिला कृषि पदाधिकारियों से मिली रिपोर्ट चिंताजनक- कृषि निदेशालयः झारखंड कृषि निदेशालय (Jharkhand Directorate of Agriculture) में अधिकारी और समेति के निदेशक सुभाष सिंह कहते हैं कि राज्य में कम बारिश की वजह से हालात बेहद खराब है, ऐसे में वैकल्पिक खेती की आपात योजना बनाकर किसानों को राहत पहुंचाने की योजना बनाई गयी है. सभी जिलों के कृषि पदाधिकारी को अपने अपने जिलों में कम पानी में उपजने वाली तिलहन, दलहन, सरगुजा एवं अन्य बीजों की कितनी जरूरत होगी उसकी रिपोर्ट मांगी गई है.


सुभाष सिंह कहते हैं कि हमारे किसान बेहद मेहनती और जीवट हैं, उन्होंने अभी भी बिचड़ा को बचाकर रखा है, भगवान की कृपा से अगर अभी भी दो चार दिन अच्छी बारिश हो जाए तो किसान धान रोपनी कर स्थिति को कुछ हद तक बेहतर बना सकते हैं. उन्होंने बताया कि लेकिन यह तय है कि अब धान की फसल में पिछले वर्ष जितना उत्पादन पाना संभव नहीं है, ऐसे में अब किसानों को अरहर एवं अन्य दलहन, तिलहन, मक्का, सरगुजा जैसी फसल की खेती के लिए आगे आना चाहिए. उन्होंने कहा कि दोइन और बहियाव भूमि में पानी नहीं है ऐसे में जो नमी मिट्टी में है उसका लाभ किसान भाई लें और वैकल्पिक खेती करें.


यहां बता दें कि राज्य में कुल 28 लाख हेक्टेयर भूमि पर खरीफ की खेती होती है. जिसमें अकेले 18 लाख हेक्टेयर में धान की खेती की जाती है. लेकिन इस वर्ष राज्य में कम बारिश की वजह से हालात बेहद खराब है और अन्नदाता को मदद की दरकार है.

Last Updated : Aug 2, 2022, 8:46 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details