रांचीःकेंद्रीय कृषि और किसान मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को वर्चुअल माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और किसानों के बीच कृषि से जुड़ी बातों पर संवाद का लाइव प्रसारण किया गया. आईसीएआर के निर्देश और कुलपति डॉ. ओंकार नाथ सिंह के मार्गदर्शन में इस प्रसारण को बीएयू के संकायों, महाविद्यालयों, क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्रों, कृषि विज्ञान केंद्रों में पदाधिकारियों, शिक्षकों, वैज्ञानिकों और किसानों ने हिस्सा लिया.
किसानों को कृषि क्षेत्र में सफलता
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय की ओर से संचालित 16 कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) और तीन क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्रों के माध्यम करीब साढ़े तीन हजार किसानों ने प्रधानमंत्री और देश के विभिन्न राज्यों के किसानों की कृषि क्षेत्र में सफलता, कृषि योजनाओं का लाभ, समस्या पर केंद्रित संवाद को सुना. इस कार्यक्रम में केवीके और जेडआरएस वैज्ञानिकों और किसानों में काफी उत्साह देखा गया. वैज्ञानिकों और किसानों ने इसे कृषि में आ रहे बदलाव का अवसर बताया.
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पीएम और किसानों के बीच के संवाद
इस दौरान कृषि संकाय के 4 कृषि महाविद्यालयों, एक–एक उद्यान और कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालयों के करीब सात सौ छात्रों ने भी पंजीकरण कराकर इस सजीव प्रसारण को देखा. छात्रों ने पीएम और किसानों के बीच के संवाद को कृषि सेवा कार्य के लिए बेहद उपयोगी बताया. मुख्य कार्यक्रम विश्वविद्यालय के आरएसी ऑडिटोरियम में प्रसार शिक्षा निदेशालय की ओर से आयोजित किये गये. जहां कुलपति के साथ विश्वविद्यालय के डीन, डायरेक्टर, साइंटिस्ट और टीचर्स ने पीएम और किसानों के संवाद को सुना.
वैज्ञानिकों का मार्गदर्शन
कुलपति ने इस कार्यक्रम को झारखंड के किसानों के लिए प्रेरणादायी संवाद बताया. उन्होंने कहा कि झारखंड प्रदेश में कृषि जोखिम अधिक है. इसकी मुख्य वजह 80 प्रतिशत छोटे और मझौले किसान, वर्षा आधारित एक फसली खेती और सीमित सिंचाई साधन हैं. इन बहुतायत किसानों को खेती के आलावा लाभकारी कृषि उद्यम को अपनाने की जरूरत है. प्रदेश के किसानों को कृषि विविधीकरण, एकीकृत कृषि प्रणाली, जैविक कृषि, ड्रीप इरीगेशन, माइक्रो इरीगेशन जैसे आधुनिक तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता है. विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने अनेकों तकनीकों को विकसित की है. प्रदेश के किसान विश्वविद्यालय वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में कृषि में सफलता हासिल कर सकते हैं.
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ये लोग रहे मौजूद
डीन एग्रीकल्चर डॉ. एमएस यादव ने कहा कि इस संवाद से देश में कृषि क्षेत्र में हो रहे बदलाव, किसान क्रेडिट कार्ड, फसल बीमा योजना और कृषि ऋण से कृषि कार्यों में सुधार को प्रत्यक्ष जानने का अवसर मिला है. डायरेक्टर रिसर्च डॉ अब्दुल वदूद ने कहा कि इस संवाद से कृषि में आधुनिक तकनीकों की महत्ता का बोध होता है. विश्वविद्यालय के शोध तकनीकों का प्रदेश के किसान लाभ ले सकते हैं. मौके पर डॉ एमएच सिद्दीकी, डॉ. जगरनाथ उरांव, डॉ. एम के गुप्ता, डॉ. एस कर्माकार, डॉ. कृष्णा प्रसाद, डॉ. राकेश कुमार और डॉ बंधनु उरांव सहित संकाय के साइंटिस्ट, टीचर्स भी मौजूद थे.