रांचीः किसानों की आय को दुगने करने को लेकर राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार लगातार प्रयास कर रही है. इसके साथ ही कई योजनाएं भी चला रही है, लेकिन इसके बावजूद किसानों की आय दोगुनी होने का नाम नहीं ले रहा है. इसे सरकार की उदासीनता रवैया कहें या फिर किसानों की मजबूरी, यही वजह है कि किसानों को धान का समर्थन मूल्य नहीं मिल सका.
इसको लेकर धान क्रय केंद्र में धान खरीदने की शुरुआत की है लेकिन इसके बावजूद किसान अपनी उपज को साहूकारों को औने-पौने के दामों में बेच रहे हैं. आलम यह है कि बिचोलिए बड़े-बड़े अक्षरों में धान क्रय केंद्र लिखकर किसानों के धान को औने-पौने मूल्य पर खरीदकर उनकी बेबसी का फायदा उठा रहे हैं.
राज्य सरकार ने किसानों के धान की खरीद को लेकर रांची जिले में 23 क्रय केंद्र खोले हैं, लेकिन इसके बावजूद किसान अपनी धान को बिचौलियों को बेच रहे हैं.
11 से ₹12 प्रति किलो खरीद रहे
बिचोलिए साहूकार बेफिक्र होकर बिना डर भय के धान क्रय केंद्र लिखकर किसानों से धान को 11 से ₹12 प्रति किलो की दर से खरीद रहे हैं. साहूकार द्वारा धान ट्रैक्टर के जरिए रांची के राइस मिल में भेजने का काम किया जाता है, जिसके कारण यहां के किसान खुद को ठगा महसूस करते हैं.
किसानों का कहना है कि सरकार ने धान क्रय केंद्र तो खोल दिया है लेकिन वह धान क्रय केंद्र की सुविधा किसानों तक नहीं पहुंच पा रही है. कारण यह है कि धान को क्रय केंद्र तक पहुंचाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. सरकार ने भले ही ₹2,050 धान की कीमत रखी है, लेकिन हम किसानों को इसका लाभ कैसे मिलेगा, यह जानकारी नहीं है
वहीं प्रगतिशील किसान नकुल महतो की मानें तो लैंपस द्वारा धान न खरीदने के कारण किसानों को धान खरीद में दिक्कत आ रही है. इसका कारण है कांके प्रखंड में मात्र दो धान क्रय केंद्र खोले गए हैं. एक कांके अरसंडे में तो दूसरा उरुगुटु में. अगर दोनों जगह की बात करें तो किसानों को अपना धान क्रय केंद्र तक पहुंचाने के लिए ट्रैक्टर या फिर टेंपो का सहारा लेना पड़ता है.
इसके लिए किसानों को भाड़ा चुकाना पड़ता है वहीं दूर होने की वजह से किसान अपनी उपज को धान क्रय केंद्र में नहीं पहुंचा पा रहे हैं. सरकार को एक ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि जिससे किसानों का धान गांव से खरीदा जा सके. धान की उपज गांव में होती है ना कि शहर में और किसान गांव में ही बसते हैं.
ऐसे में जब 20 किलोमीटर का सफर तय कर धान को बेचने जाना पड़े तो किसानों को दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है. यही वजह है कि किसान अपनी उपज की धान को साहूकार के हाथ में औने-पौने दाम पर बेच रहे हैं. सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए और कम से कम किसानों की धान खरीदने को लेकर एक उचित व्यवस्था करनी चाहिए.
बिचौलिए किसानों को तुरंत देते हैं पैसे
मजबूरी में किसान बिचौलियों को अपनी उपज को बेच रहे हैं इसका वजह सरकारी तंत्र और विभाग की लापरवाही है. वहीं किसानों की मजबूरी का फायदा उठाने वाले बिचौलिए की मानें तो किसानों को पैसे की तत्काल आवश्यकता होती है किसान जब फोन करते हैं तो उनके यहां धान उठाने की भी हम लोगों के पास सुविधा है और लोग जब धान को लेकर हम लोगों पास पहुंचते हैं तो तुरंत हाथों-हाथ किसानों को पैसा दिया जाता है.