रांचीः राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में 15 वर्षीय अली खान को नाजुक स्थिति में लाया गया. 23 जुलाई की देर रात अली को उनके परिजनों ने रिम्स में भर्ती कराया. जहां इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर ने तुरंत ही उसका इलाज शुरू किया लेकिन 24 जुलाई को अली की मौत हो गई. परिजनों ने बताया कि 3 दिन पहले अली खेलते खेलते गिर गया था, जिससे उसका एक पैर टूट गया था.
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परिजनों ने बताया कि अली को लेकर आनन-फानन में देर रात परिजन सदर अस्पताल पहुंचे. जहां पर तैनात डॉक्टर एस अली ने प्राथमिक इलाज कर मरीज के परिजनों को नामकुम स्थित अपने निजी क्लीनिक में बुला लिया. डॉक्टर के कहने पर परिजन जब इलाज करवाने उनके निजी क्लीनिक पर पहुंचे तो 22 जुलाई को डॉ एस. अली ने ऑपरेशन करने की बात कही. जिस पर परिजनों ने हामी भर दी लेकिन जैसे ही ऑपरेशन से पहले उसे एनेस्थीसिया दिया गया कि वैसे ही बच्चे की स्थिति खराब हो गई.
बच्चे की गंभीर स्थिति को देखते हुए परिजनों ने जब डॉक्टर पर दबाव बनाया तो डॉक्टर ने हाथ खड़े कर दिए और रिम्स जाने के लिए कहा. मृतक की चाची ने बताया कि अपने बच्चे की गंभीर स्थिति को देखते हुए वह आनन-फानन में रिम्स पहुंचे. जहां पर डॉक्टरों के द्वारा बच्चे का इलाज किया गया लेकिन उनका बच्चा नहीं बचा. परिजनों ने आरोप लगाया कि निजी क्लीनिक में ऑपरेशन से पहले बच्चे को जो इंजेक्शन लगाए गए थे वह गलत थे या फिर एनेस्थीसिया की ज्यादा डोज दे दी गई थी.
वहीं बच्चे की मौत को लेकर रिम्स प्रबंधन की तरफ से डॉक्टर राजीव रंजन ने बताया कि चोट लगने के दौरान बच्चे के छाती और पेट के पास भी चोट लगी थी. जिस वजह से बच्चे को एब्डोमिनल ब्लीडिंग हो रही थी. लेकिन डॉक्टर के द्वारा सही इलाज नहीं करने की वजह से बच्चे की स्थिति गंभीर हो गई. डॉक्टर राजीव रंजन ने बताया कि जब बच्चे को प्रथम दृष्टया देखा गया था, उसी समय ब्लीडिंग कम करने का ट्रीटमेंट करना चाहिए था. लेकिन उस वक्त के डॉक्टरों द्वारा पैर का इलाज किया जाने लगा. अगर सही समय पर एब्डोमिनल ब्लीडिंग को रोक लिया जाता तो बच्चे की जान बच सकती थी. रिम्स में आने के बाद बच्चे को बचाने का प्रयास किया गया लेकिन अत्यधिक ब्लीडिंग होने की वजह से डॉक्टर उसे नहीं बचा पाए.
फिलहाल बच्चे का पोस्टमार्टम करा दिया गया है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद बच्चे की मौत का स्पष्ट कारण पता चल पाएगा. ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि जब बच्चे को इलाज कराने के लिए रांची सदर अस्पताल लाया गया था तो सरकारी अस्पताल में तैनात चिकित्सक डॉक्टर एस अली ने उसे प्राइवेट क्लीनिक में क्यों बुलाया, पहले ही रिम्स रेफर क्यों नहीं किया. बच्चे की मौत के बाद परिजनों की मांग है कि जिस डॉक्टर की वजह से बच्चे की मौत हुई है उन पर कार्रवाई की जाए और उनका लाइसेंस रद्द किया जाए ताकि आगे से किसी भी बच्चे की किस्मत उनके बच्चे की तरह ना हो. अब देखने वाली बात होगी कि बच्चे के परिजनों की मांग पर स्वास्थ्य विभाग के तरफ से डॉ एस अली पर क्या कार्रवाई की जाती है.