रांची: 90 के दशक में बिहार में हुए चारा घोटाला की वजह से पशुपालन विभाग पर जो दाग लगा, वह अबतक नहीं धुल पाया है. इस विभाग को आम लोग आज भी शक की नजर से देखते हैं. बेशक, लालू यादव सरीके कई नेताओं, पशु चिकित्सकों और सप्लायरों को सजा हो चुकी है, फिर भी यह विभाग अपनी ही चाल में चल रहा है. मनमानी का आलम ऐसा कि बड़ी संख्या में जिला पशुपालन पदाधिकारी और पशु चिकित्सक लंबे समय से एक ही जिला में कुंडली मारे बैठे हुए हैं. जब भी इनके ट्रांसफर की बात होती है तो उसी जिले में कभी इस दफ्तर से कभी दफ्तर में शिफ्ट हो जाते हैं. इस मेहरबानी का असर दूसरे पदाधिकारियों के मनोबल पर पड़ रहा है.
अब सवाल है कि क्या जनवरी 2024 के पूरा होने से पहले ऐसे लोगों पर कार्रवाई होगी. क्योंकि चुनाव आयोग ने 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सभी राज्यों के मुख्य सचिव और मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को पत्र लिखकर स्पष्ट कर दिया है कि वैसे पदाधिकारियों को चुनाव ड्यूटी में नहीं लगाना है जो अपने गृह जिला या एक ही जगह पर पदस्थापित हैं या एक ही जिला में तीन साल से ज्यादा समय से पद पर बने हुए हैं.
गृह जिला या एक ही जगह में कुंडली मारे बैठे पशु चिकित्सकों की सूची.
- डॉ विपिन खलखो, क्षेत्रीय निदेशक, दक्षिणी छोटानागपुर
- डॉ अमित शरण, हजारीबाग में पदस्थापित
- डॉ कमलेश कुमार पिंगले, जिला पशुपालन पदाधिकारी, रामगढ़
- डॉ नुपूर कोयल, शोध पदाधिकारी, पशु स्वास्थ्य, कांके, रांची
- डॉ कम्बोज कुमार महतो, सूकर प्रजनन प्रक्षेत्र, रांची
- डॉ संगीता कुमार, चैनपुर, पलामू
- डॉ विनय कुमार राय, क्षेत्रीय निदेशक कार्यालय, रांची
- डॉ रविशंकर कपूर, क्षेत्रीय संयुक्त निदेशक, रांची
- डॉ रोजलीन पुष्पा तिर्की, सिल्ली, रांची
- डॉ प्रफुल्ल कुमार, रांची
- डॉ धनन्जय कुमार सिन्हा, होटवार, रांची
- डॉ सेवा पालित, अनगड़ा, रांची
- डॉ पृथ्वी राम, जमशेदपुर
इनमें एक नाम है डॉ नरेंद्र कुमार झा का भी है जो 1991 यानी 32 वर्षों से ज्यादा समय से रांची में ही पोस्टेड हैं. संभव है कि अपने गृह जिला से ही रिटायर भी हो जाएं. क्योंकि यह रिकॉर्ड डॉ अपर्णा पांडेय के नाम रहा है. वह प्रारंभ से ही करीब 34 वर्षों तक अपने गृह जिला रांची में ही पदस्थापित रहीं और यहीं से सेवानिवृत्त भी हुईं.
अब सवाल है कि क्या चुनाव आयोग के पत्र के आलोक में ऐसे पशु चिकित्सकों को उस जिला से हटाया जाएगा. जाहिर है कि इन्हें चुनाव ड्यूटी पर नहीं लगाया जाता है तो इस बात पर मुहर लग जाएगी कि इनपर किसी ऊंचे स्तर से कृपा बरस रही है. इस विभाग में सिर्फ पशुचिकित्सक ही नहीं बल्कि कई पशुपालन पदाधिकारी हैं जो एक ही जिला में वर्षों से अंगद की तरह पैर जमाए बैठे हैं.
एक ही जगह में वर्षों से जमे पदाधिकारियों के नाम.
- डॉ कमलेश्वर भारती, पाकुड़, 3 वर्ष
- डॉ मनोज कुमार मणि, बोकारो, 3 वर्ष
- डॉ राम सरीख प्रसाद, कोडरमा, 3 वर्ष
- डॉ न्यूटन तिर्की, हजारीबाग, 3 वर्ष
- डॉ अरुण कुमार राम, सिमडेगा, 3 वर्ष
- डॉ अवधेश कुमार, दुमका, 3 वर्ष
- डॉ बिनोद कुमार, बेकन फैक्ट्री, रांची, 3 वर्ष
- डॉ अरविंद कुमार, अवर प्रमंडल पदा. कोडरमा, 5 वर्ष
- डॉ निशि किरण वर्मा, 6 वर्ष
- डॉ मृत्युंजय कुमार, शोध पदाधिकारी, कांके, रांची, 6 वर्ष
- डॉ संजय चैखिरयार, शोध पदाधिकारी, कांके, रांची, 6 वर्ष
- डॉ संजीव कुमार राय, जमशेदपुर, 10 वर्ष
- डॉ मुद्रिका दास, बोकारो, 5 वर्ष
- डॉ मनोज कुमार तिवारी, पशुपालन निदेशालय, 6 वर्ष
- डॉ ब्रजेश कुमार, रांची , 3 वर्ष
- डॉ शैलेन्द्र कुमार, रांची