रांची: देश में गरीबों की क्या स्थिति है, साथ ही अदिवासियों के विकास के लिए केंद्र सरकार क्या कदम उठा रही है? इस सवाल के जवाब में अर्जुन मुंडा ने कहा कि पूरे देश में लॉकडाउन जारी है, सभी काम काज ठप है. देश-विदेश के कई हिस्सों में प्रवासी मजदूर फंसे हुए हैं, जिनकी संख्या काफी अधिक है, उन्हें घर तक पहुंचाने के लिए भारत सरकार लगातार राज्य सरकार से बातचीत कर रही है. सभी राज्य सरकारों को प्रवासी लोगों को वापस लाने के लिए भारतीय रेल विभाग से संपर्क कर पहल करनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में कॉर्डिनेशन का अभाव है, जिसके कारण परेशानी हो रही है.
आदिवासी समाज है जागरूक
बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ में बेहतर स्वास्थ्य की सुविधा नहीं होने के सवाल पर अर्जुन मुंडा ने कहा कि आदिवासी समाज सोशल डिस्टेंसिंग का पालन शुरु से करता आ रहा है, शहरी इलाकों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन सही तरीके से नहीं हो पा रहा है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में इसका पालन किया जा रहा है. आदिवासी समाज कोरोना के रोकथाम को लेकर काफी जागरूक हैं.
अधिसूचित क्षेत्रों में दिया जा रहा विशेष ध्यान
संताल परगना में लोगों को समय पर राहत नहीं मिल पा रही है, गरीबों की कथित भूख से मौत हो रही है. इस सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अधिसूचित क्षेत्रों में विशेष ध्यान रखने के लिए हमारे विभाग ने अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं. गरीबों को किसी तरह की कोई समस्या नहीं हो इसके लिए जिले के अधिकारियों और राज्य सरकार से लगातार बातचीत की जा रही है, जिले के अधिकारी इस मामले में बेहतर काम भी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारे क्षेत्र में तरबूज, कटहल समेत अन्य फसलों का बेहतर उत्पादन हो रहा है, लेकिन बाजार नहीं होने के कारण किसानों को नुकसान हो रहा है. किसानों की समस्या को दूर करने के लिए जिला प्रशासन को दिशा निर्देश दिए गए हैं.
झारखंड सरकार में इच्छा शक्ति की कमी
झारखंड के खजाने के बारे में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि भारत सरकार झारखंड सरकार को बराबर मदद दे रही है, इसके लिए पैकेज की घोषणा की गई है. उन्होंने कहा कि अगर राज्य का नेतृत्व इस तरह की बात करता है तो उनमें इच्छा शक्ति का अभाव है, इच्छा शक्ति के बल पर नेतृत्व और नेतृत्व के बल पर ही सरकार चलती है, झारखंड के शीर्ष नेतृत्व को विलाप की जगह जनता का काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बाहर फंसे लोगों को प्लेन से लाने की बात कर रहे हैं, लेकिन प्रदेश के लोगों को अगर वो ट्रेन से वापस लाए तो काफी सराहणीय होगा. यह दौर आरोप-प्रत्यारोप को नहीं है, बल्कि सभी को मिलकर इस लड़ाई को लड़ना जरुरी है.
झारखंड में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी