रांची: कोरोना महामारी के कारण हुए लॉकडाउन और मौसम की मार से किसानों के खेतों में लगी फसलों को काफी नुकसान हुआ है. लॉकडाउन की वजह से किसानों को जहां एक ओर फसल बेचने के लिए बाजार नहीं मिल पा रहा है तो वहीं दूसरी ओर बीच-बीच में हुई बेमौसम बारिश से उनकी फसल को काफी नुकसान हुआ है.
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक से एक्सक्लूसिव बातचीत खेतों की जुताई
इस मौसम में किसान अपने खेतों को खरीफ फसल के लिए तैयार करते हैं, लेकिन बेमौसम हुए बारिश के कारण किसान थोड़ा नर्वस नजर आ रहे हैं. इन तमाम चीजों को लेकर बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के बिरसा इंजीनियरिंग कॉलेज के विभागाध्यक्ष डीके रुसिया से ईटीवी भारत के संवादाता ने खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि किसानों को बीच-बीच में हुई बारिश के कारण नुकसान जरूर हुआ है, लेकिन अब खेतों की जुताई का समय है. ऐसे में किसान अपने खेतों की जुताई कर छोड़ दे, ताकि मिट्टी में पड़े बैक्टीरिया धूप के कारण मर जाए.
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झारखंड में मानसून का प्रवेश
डीके रुसिया ने जानकारी दी कि जुताई के लिए आधुनिक तरीके के मोल्ड-बोल्ड ट्रैक्टर चलित हल का प्रयोग करें, ताकि किसानों के खेतों में रहे खरपतवार पूरी तरह से नष्ट हो जाए. उन्होंने कहा कि 20 जून से झारखंड में मानसून प्रवेश करने वाला है. इससे पहले किसान खरीफ फसल को लेकर अपने खेतों की जुताई कर ले. इसके साथ ही खेतों में अगर मेढ़ बनाने की आवश्यकता हो तो मेढ भी बना ले. यह समय किसानों के खेतों के लिए अनुकूल समय है.
उचित किराये में उपकरण उपलब्ध
रुसिया से बताया कि किसान उपकरण संबंधित अधिक जानकारी के लिए बिरसा कृषि विश्वविद्यालय से संपर्क कर सकते हैं. अन्य जिलों के किसान जिला कृषि पदाधिकारी और कृषि केंद्र में भी संपर्क कर उपकरण संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और उसका प्रयोग कर सकते हैं. किसानों को किसी भी प्रकार के उपकरण की आवश्यकता हो तो वो सीधा बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि अभियंत्रण विभाग से या फिर महाविद्यालय से संपर्क कर सकते हैं. किसान भाइयों को उचित किराया में उपकरण मिल सकता है.