रांची: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंकीपॉक्स को लेकर सभी राज्यों को अलर्ट कर दिया है. इस बीमारी से निपटने के लिए तैयारियां भी तेज कर दी गईं हैं. हालांकि चिकित्सकों का कहना है कि यह बीमारी 80 के दशक में होने वाले स्मालपॉक्स की तरह ही है. डॉक्टर ने कहा कि 55 साल से ज्यादा आयु वर्ग के लोगों को मंकीपॉक्स का खतरा नहीं है, क्योंकि इस उम्र के लोगों ने 80 के दशक में स्मालपॉक्स का टीका लिया है. इसके अलावा चिकित्सकों का कहना है कि शरीर पर हर चकत्ता या छाला मंकीपॉक्स नहीं है.
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रिम्स के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. बी कुमार का कहना है कि वर्ष 1979 में स्मालपॉक्स का आखिरी केस मिला था, जिसके बाद वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन(WHO) ने यह मान लिया कि पूरी दुनिया से स्मालपॉक्स का खात्मा हो गया है, जिसके बाद इसके टीके का उपयोग पूरी तरह बंद कर दिया गया. रिम्स के मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. संजय सिंह बताते हैं कि मंकीपॉक्स और स्माल पॉक्स के लक्षण एक जैसे हैं, लेकिन जिन्होंने भी 80 के दशक में स्मालपॉक्स का टीका लिया है उन्हें मंकीपॉक्स का खतरा नहीं है.
देखें क्या कहते हैं वरिष्ठ चिकित्सक मंकीपॉक्स से बच्चों का कैसे करें बचाव: राजधानी के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. राजीव कुमार बताते हैं कि पांच वर्ष से कम उम्र से छोटे बच्चों में मंकीपॉक्स होने का खतरा कम होता है लेकिन जो बच्चे 10 से 12 साल से ज्यादा उम्र के हैं उन्हें मंकीपॉक्स होने का खतरा ज्यादा होता है. ऐसे में उन्होंने अभिभावकों के लिए ईटीवी भारत के माध्यम से सलाह दी है कि अभिभावक अपने बच्चों को चिकनपॉक्स का टीका अवश्य लगवाएं. इससे कहीं ना कहीं मंकीपॉक्स होने का खतरा कम हो सकता है.
जुलाई से अगस्त महीने बच्चों में HMFD बीमारी भी है कॉमन: डॉ राजीव कुमार ने बताया कि कई बार बच्चों के शरीर में चकत्ते (RASHESH) देखने को मिलते हैं जो बिल्कुल मंकीपॉक्स जैसा लगता है लेकिन जुलाई से अगस्त महीने तक बच्चों में हैंड फुट माउथ डिजीज(HFMD) ज्यादा पाए जाते हैं जो महज एक सप्ताह में ठीक हो जाता है लेकिन कई बार अभिभावकों को यह महसूस होता है कि बच्चे को कहीं मंकीपॉक्स या कोई अन्य इंफेक्शन तो नहीं हो गया. उन्होंने बताया कि छोटे बच्चों के लिए अभिभावकों को यह भी ध्यान रखना है कि युवा जानवरों और इनफेक्टेड लोगों के संपर्क में नहीं हैं ताकि उन्हें किसी भी तरह के पॉक्स के खतरे से बचाया जा सके.
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गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी के बीच लोगों को मंकीपॉक्स जैसे वायरस के लिए वैक्सीन और दवा की जरूरत है लेकिन जब तक दवा और वैक्सीन पूर्णरूपेण से नहीं बन जाती है तब तक लोगों को इस महामारी से बचने की जरूरत होगी.
मंकीपॉक्स के लक्षण
- बुखार
- ठंड लगना
- सिर दर्द
- मांसपेशियों में दर्द
- थकान
- सूजी हुई लसीका ग्रंथियां
यह भी जानेंःचिकित्सकों का कहना है कि मंकीपॉक्स में बुखार आदि लक्षणों के साथ 1 से 3 दिनों के बाद त्वचा पर दाने हो जाते हैं और ये दाने अक्सर चेहरे से दिखाई देने शुरू होते हैं और फिर हाथों की हथेलियों, तलवों पर नजर आते हैं. मंकीपॉक्स में दाने शरीर के अन्य हिस्सों पर भी फैल सकते हैं. दाने सपाट, लाल धब्बों के रूप में शुरू हो सकते हैं, जो बाद में फफोलों में बदल जाते हैं और इसमें मवाद भर जाता है. हालांकि कुछ दिनों बाद ये ठीक होने लगता है. मंकीपॉक्स के लक्षण काफी हद तक स्मालपॉक्स से मिलते जुलते हैं. लेकिन स्मालपॉक्स मंकीपॉक्स से गंभीर बीमारी है.
स्मालपॉक्स (चेचक) के लक्षण
- बुखार
- बेचैनी
- सिरदर्द
- गंभीर थकान
- पीठ दर्द
- उल्टी
चिकित्सकों का कहना है कि स्मालपॉक्स और मंकीपॉक्स के लक्षण काफी हद तक एक जैसे हैं, इसलिए पहचान मुश्किल है. ऐसी स्थिति में डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए. चिकित्सकों का कहना है कि चेचक की कोई दवा नहीं है, इसका टीका होता है और आमतौर पर संक्रमित होने के 10 से 14 दिन बाद इसके लक्षण दिखाई देते हैं. वहीं 7 से 17 दिनों के बाद व्यक्ति इस संक्रमण से रिकवर करना शुरू कर सकता है और दूसरे लोगों को संक्रमित नहीं करता है.