रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ते जा रही है. पहले चरण का मतदान 30 नवंबर को होगा. ऐसे में तमाम पार्टियां अपने-अपने चुनावी मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाकर वोट मांग रही हैं. नेता अपने लोक लुभावन वादों के जरिए जनता से अपने पक्ष में वोट करने की बात कह रहे हैं.
ईटीवी भारत लगातार मतदाताओं से जानने की कोशिश कर रहा है कि आखिर इस बार विधानसभा चुनाव में क्या मुद्दा होगा, जिसके आधार पर वह सरकार चुनेगी. आदिवासी वर्ग के छात्रों ने अपने मुद्दों को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
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आदिवासी छात्रों का कहना है कि झारखंड में आदिवासियों की संख्या सबसे अधिक है और इन्हीं तमाम चीजों को देखते एकीकृत बिहार से झारखंड को अलग किया गया था, ताकि यहां के आदिवासियों का सर्वांगीण विकास हो सके, लेकिन झारखंड बनने के बाद जितने भी सरकारें आई, गई सबने आदिवासियों को सिर्फ ठगने का काम किया है. उन्होंने कहा कि नेताओं ने आदिवासियों को सिर्फ वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया है, आज शिक्षा, स्वास्थ्य से आदिवासी समाज कोसों दूर है, कॉलेजों में क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई को लेकर कोई उचित व्यवस्था नहीं है.
आदिवासी छात्रों ने बताया कि आदिवासी दलित पिछड़ा वर्ग आज खुद को ठगा महसूस करते हैं. उन्होंने कहा कि नेता चुनाव के समय आते हैं और आदिवासियों को अपनी सभा में भीड़ जुटाने के लिए ले जाते हैं और उन्हें भरपेट खाना खिलाकर भेज देते हैं, लेकिन आदिवासियों के विकास के बारे में कोई नहीं सोचता है. उन्होंने बताया कि इस बार ऐसी सरकार चाहिए जो सबों को लेकर चले और सर्वांगीण विकास करे.