डॉ. श्रीमोहन सिंह के साथ ईटीवी भारत की खास बातचीत रांची:बदलते समय के साथ शैक्षणिक माहौल भी बदल रहा है. ऐसे में शिक्षक दिवस को खास बनाने के लिए छात्रों और शिक्षकों के बीच आत्मीयता बढ़ानी होगी. यह मानना है जाने माने शिक्षाविद डॉ. श्रीमोहन सिंह का जिन्हें दो-दो बार राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित होने का गौरव मिला है.
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ईटीवी भारत संवाददाता भुवन किशोर झा के साथ खास बातचीत के दौरान डॉ. श्रीमोहन सिंह ने कहा कि उन्होंने अपनी पूरी सेवा बच्चों और उनके अभिभावकों के बीच आत्मीयता बनाकर रखने में समर्पित कर दी. उन्हें इसकी प्रेरणा राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से मिली, जब 2007 में स्काउट एंड गाइड के लिए सम्मानित होने के बाद डिनर के वक्त उन्होंने देखा. डॉ. श्रीमोहन सिंह को दूसरा राष्ट्रपति पुरस्कार 2010 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल के हाथों मिला.
बच्चों के साथ आत्मीयता के अलावा शिक्षकों का कर्तव्य परायण होना आवश्यक:ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में डॉक्टर श्रीमोहन सिंह ने कहा कि शिक्षकों को बच्चों के साथ आत्मीयता के अलावा कर्तव्य परायण होना आवश्यक है. इसके लिए उन्हें हमेशा सजग रहना होगा. आज के समय में बदल रहे शैक्षणिक माहौल पर दुख जताते हुए उन्होंने आगे कहा कि एक समय था जब स्कूल भवन का अभाव था और बच्चे पढ़ना चाहते थे. ऐसे में मेरे जैसे शिक्षक ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल भवन बनवाकर उन बच्चों की समस्या को दूर करने की कोशिश किया करते थे. लेकिन आज शिक्षकों का अभाव है और जो भी शिक्षक हैं वह शहरी क्षेत्र में सेवा के बजाय नौकरी करना पसंद करते हैं. जब तक शिक्षकों में सेवा भाव नहीं होगा और छात्रों की समस्या को वो नहीं जानेंगे, तब तक आत्मीयता नहीं बढ़ेगी और शैक्षणिक माहौल नहीं बदलेगा.
पूरा जीवन शैक्षिक कार्यों में लगाने वाले डॉक्टर श्रीमोहन सिंह का मानना है कि सामाजिक कार्यों के साथ-साथ शैक्षणिक कार्यों की जिम्मेदारी संभालना उनके लिए एक चुनौती रही है, मगर कर्तव्य के प्रति वो कभी भी उदासीन नहीं रहे. शिक्षकों को चाहिए कि समय की प्रतिबद्धता के साथ अपने कर्तव्य बोध को भी वो जाने तभी शिक्षक दिवस जैसे अवसर उनके लिए भी खास होते हुए नजर आएंगे.