बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी के साथ ईटीवी भारत की खास बातचीत रांचीः प्रदेश भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर अपने पूर्व प्रधान सचिव राजीव अरूण एक्का को बचाने की कोशिश का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि गृह विभाग का प्रधान सचिव रहते हुए राजीव अरूण एक्का एक पावर ब्रोकर विशाल चौधरी के दफ्तर में बैठकर संवेदनशील फाइलों का निपटारा करते है. इस बाबत वीडियो जारी होते ही सीएम ने उन्हें पद से हटाकर पंचायती राज विभाग की जिम्मेदारी सौंप दी. इससे साफ है कि वह राजीव अरूण एक्का को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. बेहतर होता कि ऐसा गंभीर वीडियो जारी होते ही राजीव अरूण एक्का को पहले गिरफ्तार किया जाता, उनके खिलाफ एफआईआर होना चाहिए था.
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सीबीआई से करानी चाहिए जांच- बाबूलालः बाबूलाल मरांडी ने कहा कि राजीव अरूण एक्का तो गृह विभाग के भी सचिव थे. झारखंड के जेलों में बड़े-बड़े उग्रवादी, आतंकी और अपराधी हैं. ऐसे में इतनी लापरवाही कतई बर्दाश्त नहीं की जा सकती. यह तो आम लोगों की सुरक्षा का भी मामला है. पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की अनुशंसा की जानी चाहिए थी. आश्चर्य की बात है कि मुख्यमंत्री ने कार्रवाई के बजाए दूसरे विभाग में भेज दिया. बाबूलाल मरांडी ने कहा कि भाजपा का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से मिलकर कार्रवाई की मांग करेगा. उन्होंने उम्मीद जतायी की राजभवन से सरकार को कोई न कोई दिशा निर्देश जरूर मिलना चाहिए.
बिचौलिए चला रहे हैं सरकार- बाबूलालः ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह ने बाबूलाल मरांडी से पूछा कि क्या राजीव अरूण एक्का से जुड़ा कोई और भी वीडियो है. क्या निकट भविष्य में कोई दूसरा वीडियो भी आप जारी करने वाले हैं. इस सवाल मुस्कुराते हुए बाबूलाल मरांडी ने कहा कि आगे क्या होगा ये तो फिलहाल नहीं कहा जा सकता. हालाकि उन्होंने ये जरूर कहा कि वह पहले से इन बातों को उठाते रहे हैं, शुरू से कहते रहे हैं कि सरकार गड़बड़ कर रही है, सरकार को बिचौलिए चला रहे हैं और ये सरकार दलालों से घिरी हुई है.
होटवार जाते दिख रहे हैं सीएम- बाबूलालः बाबूलाल मरांडी से पूछा गया कि सीएम से जुड़े ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में चुनाव आयोग का मंतव्य आने के कई माह बाद भी अबतक लिफाफा नहीं खुला है. इस बीच राज्यपाल भी बदल चुके हैं. क्या वर्तमान राज्यपाल से लिफाफा खोलने का आग्रह किया जाएगा. जवाब में बाबूलाल मरांडी ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि लिफाफे में क्या है. लेकिन हमारी मांग अपनी जगह सही है, सरकार खुद घिरती जा रही है, अपराधियों को बचाया जा रहा है. अब साफ दिख रहा है कि मुख्यमंत्री का रास्ता होटवार की तरफ जाता दिख रहा है. ऐसे मुख्यमंत्री पर निर्भर करता है कि वह अपराधियों को बचाएंगे या उनके साथ होटवार जेल जाएंगे.
अब सवाल है कि विशाल चौधरी है कौनः दरअसल, मनरेगा और मनी लाड्रिंग मामले में सीनियर आईएएस पूजा सिंघल की गिरफ्तारी के बाद ईडी ने पावर ब्रोकर विशाल चौधरी के ठिकानों पर भी छापेमारी की थी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक विशाल के घर से कई अहम दस्तावेज ईडी के हाथ लगे थे. उसी दौरान विशाल अपनी पत्नी के साथ थाइलैंड जाने की कोशिश में था लेकिन उसे दिल्ली एयरपोर्ट पर रोक लिया गया था. उस दौरान जोर शोर से चर्चा चली थी कि विशाल चौधरी के घर कई बड़े ब्यूरोक्रेट्स आया करते थे, पार्टियां होती थीं.