रांची: कभी अपनी हरियाली के लिए मशहूर रांची अब कंक्रीट की जंगल में तब्दील हो गई है. लगातार हो रही पेड़ों की कटाई और उससे मौसम में बदलाव के कारण सालाना होने वाली वर्षा में भी कमी आई है. बारिश में कमी और भूगर्भ जल के लगातार दोहन से रांची में कई सालों से लोगों को पानी के संकट से दो चार होना पड़ रहा है. इस समस्या से निपटने के लिए जल संरक्षण पर जोर दिया जा रहा है.
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पीएम मोदी ने भी दिया जल संरक्षण पर जोर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में भी जल संरक्षण को बढ़ावा देने पर जोर दिया है. लेकिन झारखंड के आम लोगों में जल संरक्षण को लेकर दिलचस्पी नहीं होने के कारण समस्या बढ़ती जा रही है. हरेक साल गर्मी मे पानी के लिए त्राहिमाम मचता है. पर्यावरणविदों के मुताबिक झारखंड राज्य की भौगोलिक स्थिति अन्य राज्यों से अलग है. ऐसे में जल संरक्षण के लिए नदी तालाबों का संरक्षण सबसे जरूरी है.
तालाबों और नदियों को बचाने की जरूरत
झारखंड में जल संरक्षण के लिए सबसे पहले तालाब और नदियों को बचाने की जरूरत पर पर्यावरणविदों ने जोर दिया है. पर्यावरणविद नीतीश प्रियदर्शी ने बताया कि जल संरक्षण के लिए वैज्ञानिक तरीके से वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाना फायदेमंद है. उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों की तरह झारखंड की मिट्टी और पत्थर अलग तरीके के हैं. ऐसे में भूमिगत जल को बचाने के लिए तालाबों को मेंटेन करने की जरूरत है. उन्होंने नदियों को अतिक्रमण मुक्त करने पर भी जोर दिया. नीतीश प्रियदर्शी ने बताया की 1942 में ब्रिटिश जियोलॉजिस्ट (Geologist) की सर्वे में साफ हो गया था कि झारखंड में भूगर्भ जल (Ground Water) की स्थिति ठीक नहीं है और तब रांची में तकरीबन 300 तालाब हुआ करते थे. लेकिन अब तालाबों की संख्या भी घटकर 70 से 80 के बीच सिमट गई है. ऐसे में रांची का भू-जल स्तर घटना स्वभाविक है. उन्होंने कहा ऐसे में जल संरक्षण के लिए तालाबों का संरक्षण करना जरूरी है.