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स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव ने विभाग के पदाधिकारियों को दिए निर्देश, मातृ और शिशु मृत्यु दर को शून्य करने के लिए हर संभव उपाय करें

स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव ने विभाग के पदाधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में संस्थागत प्रसव की योजना (Emphasis On Institutional Delivery) पर जोर दिया. उन्होंने पदाधिकारियों से कहा कि मातृ और शिशु मृत्यु दर को शून्य करने के लिए हर संभव उपाय करें. साथ ही संस्थागत प्रसव के आंकड़े स्वास्थ्य विभाग के पोर्टल पर हर हाल में अपलोड करने का निर्देश दिया है.

Health Department Meeting In Ranchi
Additional Chief Secretary of Health Department In Meeting

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Published : Jan 9, 2023, 9:29 PM IST

रांचीः मातृ और शिशु मृत्यु दर को शून्य करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए झारखंड सौ फीसदी संस्थागत प्रसव की योजना पर आगे बढ़ रहा है. इसके लिए किसी भी माता का बाहर प्रसव नहीं हो, इसका ध्यान रखने का निर्देश अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य ने स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों को (Health Department Meeting In Ranchi) दिया है. सोमवार को स्वास्थ्य विभाग के नामकुम स्थित मुख्यालय में आज उच्च स्तरीय बैठक में संस्थागत प्रसव को बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास करने को कहा गया है. इसके लिए ममता वाहन का रेट बढ़ाने की भी प्रक्रिया शुरू की गई है. जल्द ही इसका लाभ मिलने लगेगा. अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) अरुण कुमार सिंह ने कहा कि हर हाल में आईएमआर और एमएमआर को जीरो करना है.

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संस्थागत प्रसव के आंकड़े स्वास्थ्य विभाग के पोर्टल पर हर हाल में अपलोड करेंःस्वास्थ्य विभाग की इस समीक्षा बैठक में राज्यभर के रिजनल डिप्टी डायरेक्टर (हेल्थ), सिविल सर्जन और डीआरसीएचओ उपस्थित थे. अपर मुख्य सचिव ने कहा कि सरकारी और निजी स्वास्थ्य संस्थानों में संस्थागत प्रसव के आंकड़े (Jharkhand Institutional Delivery Statistics) स्वास्थ्य विभाग के पोर्टल पर हर हाल में अपलोड करें. सदर अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जैसे सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में छोटे-मोटे रिपेयरिंग के जैसे टूटे दरवाजे, कांच बदलने, फर्श, टाइल्स, शौचालयों की मरम्मत, मोटर, पाइपलाइन आदि की मरम्मत के लिए भेजी गई राशि खर्च कराने का निर्देश अपर मुख्य सचिव ने दिया.

भेजी गई राशि खर्च नहीं होंने पर सिविल सर्जन होंगे जिम्मेदारः उन्होंने कहा कि छोटे-मोटे खर्च के लिए समय की बाट नहीं जोहें. उपायुक्त की अध्यक्षता में जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक आयोजित करा कर ऐसे कार्य करा लें. राज्य से भेजी गई राशि के खर्च की समीक्षा कर लें. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी राज्य मुख्यालय से जिलों को भेजी गई राशि को यथाशीघ्र खर्च कराएं. यदि राशि खर्च नहीं हुई है तो इसकी समीक्षा कर लें कि क्यों खर्च नहीं हुई है. खर्च नहीं होने की स्थिति में संबंधित जिलों के सिविल सर्जन जिम्मेदार होंगे.

सीजीग्राम, मानवाधिकार और कोर्ट से संबंधित लंबित मामलों को शीघ्र निपटाएंः बैठक में सीजीग्राम, मानवाधिकार और न्यायालय से संबंधित लंबित मामलों की भी समीक्षा की गई. निर्देश दिया गया कि यथाशीघ्र सभी मामलों का निपटारा गंभीरता के साथ करें. किसी भी मामले को कैजुअल न लें. एसीएस ने बायोमीट्रिक अटेंडेंस की भी समीक्षा की और सभी सिविल सर्जन को निर्देश दिया कि आउटसोर्स, अनुबंध और नियमित कर्मचारियों के वेतन भुगतान बायोमीट्रिक अटेंडेंस के आधार पर ही (Salary Payment Based On Biometric Attendance) करें. अस्पतालों में उपलब्ध कराई जा रही चिकित्सा सुविधाओं की मॉनिटरिंग के लिए जिला और प्रखंड स्तर पर गठित हॉस्पिटल मैनेजमेंट सोसाइटी की बैठक प्रत्येक तीन माह पर कराने और कृत कार्रवाई से राज्य को सूचित करने का निर्देश दिया गया.

बैठक में ये थे मौजूदः बैठक में स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव आलोक त्रिवेदी, विद्यानंद शर्मा पंकज, सीमा कुमारी उदयपुरी, एडिशन सेक्रेट्री जय किशोर प्रसाद, निदेशक प्रमुख डॉ कृष्ण कुमार सहित सभी आरडीडीएच, सिविल सर्जन, डीआरसीएचओ सहित सभी पदाधिकारी मौजूद थे.

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