रांचीः राज्य में गर्मी ने दस्तक दे दी है. वैसे तो यह मौसम सबको बेचैन करने वाला होता है मगर बिजली विभाग के अधिकारियों के लिए यह मौसम किसी सरदर्द से कम नहीं. मार्च के दूसरे सप्ताह से लेकर जून के तीसरे सप्ताह बिजली विभाग के लिए बेहद ही परेशान करने वाला होता है.
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तापमान जैसे-जैसे बढ़ता है पावर डिमांड बढ़ती जाती है ऐसे में गर्मी के इस मौसम में लोगों को निर्वाध बिजली देना किसी चुनौती से कम नहीं है. गर्मी के समय में तापमान बढ़ने के साथ ही ट्रांसफार्मर से लेकर पावर ग्रिड के ट्रिप करने की घटना बढ़ जाती है. इसके अलावा आंधी, तूफान और वज्रपात से बिजली के पावरग्रिड को काफी क्षति पहुंचती है. इन सब परेशानियों के बीच सबसे ज्यादा पावर डिमांड को पूरा करना होता है.
सेंट्रल पूल पर ही है झारखंड निर्भर
राज्य गठन के 21 वर्षों के बाद भी पावर जेनरेशन में झारखंड पीछे है.आज भी खपत के अनुरूप राज्य सरकार बिजली उत्पादित नहीं कर पाती है. सामान्य दिनों में बिजली की खपत राज्य में 1350-1400 मेगावाट है जिसमें राज्य मुश्किल से 370-380 मेगावाट उत्पादन कर पाती है. शेष भरपाई सेंट्रल पूल से बिजली खरीदकर राज्य के लोगों को मुहैया कराई जाती है.
SLDC के महाप्रबंधक विद्यासागर सिंह के अनुसार गर्मी के समय पावर डिमांड काफी बढ़ जाती है जिसे पूरा करने के लिए तैयारी पूरी कर ली गई है. सभी ग्रिड में प्रोटेक्शन सिस्टम को दुरुस्त रखने के निर्देश दिये गये हैं साथ ही सिस्टम हेल्दी रहे इसका प्रयास किया जा रहा है. पावर की कमी नहीं रहे इसके लिए डिमांड के अनुरूप विभाग पहले से तैयारी करके रखा है. राजधानी में होती है