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कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों को चिन्हित कर रहे अधिकारी, सरकारी सहायता दिलाने के लिए उठाए जा रहे प्रयास नाकाफी

कोरोना काल में बड़ी संख्या में बच्चों ने मां-बाप को खो दिया. ऐसे बच्चों के लिए झारखंड सरकार ने प्रयास शुरू किये हैं लेकिन वह नाकाफी साबित हो रहा है.

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Published : May 20, 2021, 9:45 PM IST

Updated : May 20, 2021, 11:03 PM IST

Children orphaned in the Corona period
कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चे

रांची:कोरोना की इस विनाशलीला में बड़ी संख्या में बच्चों ने अपने मां-बाप को खो दिया है. कई ऐसे गरीब बच्चे हैं जिनके लिए रहने का भी ठिकाना नहीं है. ऐसे बच्चों पर पहाड़ टूट पड़ा है. ऐसे बच्चों को संरक्षित करने के लिए झारखंड सरकार ने प्रयास शुरू किये हैं. लेकिन वह नाकाफी साबित हो रहा है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर राज्यभर में चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के माध्यम से एक कमेटी गठित की गई है. ऐसे बच्चों के लिए सरकार उनके पालन पोषण और भविष्य संवारने के लिए कदम उठाएगी.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

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अनाथ बच्चों को चिन्हित कर रहे अधिकारी

सीडब्ल्यूसी के चैयरमैन रानी की मानें तो चाइल्ड लाइन 1098 के माध्यम से ऐसे परिवार और बच्चों को चिन्हित किया जा रहा है, जिसमें अभी तक 700 फोन कॉल्स आ चुके हैं. हर जिले में एक शेल्टर होम बनाया गया है. रांची के निवारणपुर में आदिम जनजाति सेवामंडल में ऐसे बच्चों को रखा जायेगा. इसके अलावा विभाग ने हेल्पलाइन नंबर 181 और मोबाइल नंबर 9955588871, 8789370474 और वाट्सएप नंबर 8789833434 जारी किया है.

प्रोत्साहन राशि भी देगी सरकार

अनाथ हुए बच्चों के परिवार में कोई सदस्य अगर उनकी देखभाल करने के लिए सहमत हैं तो उन्हें देखभाल करने के बदले मासिक प्रोत्साहन सहायता भी दी जाएगी. बाल कल्याण समिति के सदस्य उस घर में जाकर इसकी जांच करेंगे और बच्चा उनके साथ सुरक्षित होगा या नहीं इसकी जांच करने के बाद यह सुविधा दी जाएगी. बाल संरक्षण आयोग के पूर्व सदस्य और जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता संजय मिश्रा ने भी कोरोना के कारण अनाथ हो रहे बच्चों पर चिंता जताते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राज्य सरकार द्वारा उठाये गए कदमों की सराहना की है. संजय मिश्रा ने लोगों से अपील की है कि ऐसे बच्चों के बारे में टॉल फ्री नंबर से जानकारी जरूर दें जिससे उन्हें सहायता पहुंचाया जा सके.

महज दिखावा है बाल संरक्षण आयोग

राज्य में बाल संरक्षण आयोग के सभी पद खाली हैं. आयोग के दफ्तर में न तो अध्यक्ष हैं और न ही सदस्य और सचिव. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य में बाल संरक्षण आयोग कैसे काम करेगा. इस वजह से सरकार ने इसका जिम्मा बाल कल्याण समिति को दिया है. इधर, राजनीतिक दलों ने भी अनाथ बच्चों की परेशानी पर चिंता जताई है. कांग्रेस प्रवक्ता आलोक दुबे ने जहां केंद्र और राज्य की सरकारों से राहत पहुंचाने की मांग की है वहीं सामाजिक संगठनों से भी ऐसे बच्चों के लिए आगे आने की अपील की है. बीजेपी प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा ने ऐसे बच्चों के प्रति संवेदना जताते हुए कहा है कि सरकार को पूरी संजीदगी के साथ ऐसे बच्चों तक राहत पहुंचानी चाहिए. बाल संरक्षण आयोग के रिक्त पदों पर तंज कसते हुए कहा कि सरकार कितनी गंभीर है इसे समझा जा सकता है.

Last Updated : May 20, 2021, 11:03 PM IST

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