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रांची: लॉकडाउन में इंसान तो इंसान, भगवान भी परेशान, न हो रहे भक्तों के दर्शन ना चढ़ावे की भेंट - रांची में मंदिरों की दान पेटी पर लॉकडाउन का असर

लॉकडाउन में लगभग सभी कुछ बंद पड़ा हुआ है. देश के बड़े बड़े मंदिरों में भी सिर्फ औपचारिक पूजा हो रही है. राजधानी के सभी मंदिरों में भक्तों का आना बंद है, जिसका असर मंदिर के दान पेटी पर पड़ रहा है, जिससे पुजारियों के रोजी रोटी पर भी ग्रहण लगने लगे हैं.

Effect of lockdown on earnings of temples of Ranchi
मंदिरों के इनकम पर पड़ा लॉकडाउन का आसर

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Published : May 29, 2020, 7:08 AM IST

Updated : May 30, 2020, 7:30 PM IST

रांची: वैश्विक महामारी कोरोना के बाद लगे लॉकडाउन का असर केवल मानव जीवन में देखने को ही नहीं मिल रहा है, बल्कि इससे अछूते भगवान भी नहीं रहे हैं. एक तरफ जहां उद्योग धंधे और कामकाज पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ा है, तो वहीं दूसरी तरफ भगवान की आमदनी में कमी आ गई है. लॉकडाउन के दौरान सभी मंदिरों के दरवाजे बंद हैं, जिसके कारण भक्त न भगवान के पास आ रहे हैं और न भगवान भक्तों की प्रार्थना सुन पा रहे हैं. ऐसे में मंदिरों का दान पेटी भी खाली पड़ा हुआ है.

देखें स्पेशल स्टोरी
पिछले 2 महीने से कोरोना की वजह से लॉकडाउन जारी है. ऐसे में आम लोगों की आमदनी के साथ-साथ भगवान की आमदनी पर भी ग्रहण लग गया है, क्योंकि लॉकडाउन की गाइडलाइन के तहत मंदिरों में ताले लटके हुए हैं. राजधानी रांची के ऐतिहासिक पहाड़ी मंदिर समेत सैकड़ों मंदिर में लॉकडाउन के दौरान दान पेटी तक चढ़ावा भी नहीं पहुंच पा रहा है, जिससे मंदिरों का खर्च पूरा करना भी पुजारियों के लिए मुश्किल हो गया है. हालांकि पहले से दान की जमा राशि से ही वर्तमान में मंदिर का खर्च वहन किया जा रहा है. मनोकामना सिद्ध हनुमान मंदिर के पुजारी विनोद पाठक का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से पुजारियों के सामने भी आर्थिक संकट उत्पन्न हो गई है, हालांकि पहले कि दान की जमा राशि और कुछ भक्तों के दान देने से मंदिर का खर्च चल रहा है.
काली मंदिर में नहीं पहुंच रहे भक्त
मंदिर में नहीं चढ़ रहा चढ़ावाऐसे में राजधानी रांची के ऐतिहासिक पहाड़ी मंदिर में लॉकडाउन से पहले जहां भक्तों की भारी भीड़ होती थी और प्रतिदिन हजारों रुपए का चढ़ावा चढ़ता था. वहां भी सन्नाटा पसरा हुआ है. पहाड़ी मंदिर के पुजारी मनोज कुमार मिश्र का कहना है कि मंदिर की आमदनी दान से ही चलती है, लेकिन लॉकडाउन में भक्त नहीं आ रहे हैं. इसलिए दान की राशि भी नहीं मिल रही है और आमदनी खत्म हो गई है. हालांकि पहाड़ी मंदिर विकास समिति की ओर से मंदिर का खर्च पूरा किया जा रहा है और कार्यरत सभी लोगों का वेतन भुगतान भी किया जा रहा है.
मंदिर के द्वार बंद
बचत खाते से हो रही मंदिर का खर्च वहनऐतिहासिक पहाड़ी मंदिर में 21 पुजारी और कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनके वेतन का भुगतान पहाड़ी मंदिर विकास समिति की ओर से किया जा रहा है. वहीं सुबह और शाम पहले की तरह ही भगवान को भोग भी लगाए जा रहे हैं. इन सब की व्यवस्था को लेकर पहाड़ी मंदिर विकास समिति के कोषाध्यक्ष अभिषेक आनंद ने बताया कि समिति की बचत खाता की राशि से ही मंदिर का खर्च वहन किया जा रहा है, साथ ही प्रत्येक दिन 100 लोगों के बीच भोजन वितरण भी इन्हीं पैसों से किया जा रहा है.
मंदिर में लगा ताला
बहरहाल कोरोना काल में ऐतिहासिक पहाड़ी मंदिर का खर्च पहाड़ी मंदिर विकास समिति की ओर से किया जा रहा है, लेकिन भक्तों के चढ़ावा बंद होने से पहाड़ी मंदिर समेत शहर के सैकड़ों मंदिरों में विराजमान भगवान की आमदनी ठप हो गई है, जिसका सीधा असर पुजारियों पर भी पड़ रहा है.
Last Updated : May 30, 2020, 7:30 PM IST

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