रांची:कोरोना ने किसानों पर दोहरा वार किया है. दूसरी लहर ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है. एक तरफ ग्राहक न मिलने से खेतों में लगी सब्जी की फसल बर्बाद हो रही है. वहीं, दूसरी तरफ खरीफ फसल का बीज सरकार की तरफ से किसानों को उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है, जिससे उनकी मुश्किलें बढ़ गईं हैं. कोरोना के कारण इस वर्ष किसानों को धान सहित अन्य खरीफ फसलों का सरकारी बीज मिलने में देरी की आशंका है. कृषि विभाग के अधिकांश कर्मियों और अधिकारियों के कोरोना संक्रमित होने के कारण 25 मई यानी बीज दिवस के अवसर पर शुरू होने वाले सरकारी अनुदानित कृषि बीज के वितरण कार्यक्रम की तैयारी पर ब्रेक लग गया है.
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बीज के लिए टेंडर प्रक्रिया भी अधूरी
हर वर्ष बीज दिवस से झारखंड के किसानों को अनुदानित दर पर राज्य सरकार धान और अन्य खरीफ फसल के बीज उपलब्ध कराती थी. इसके लिए राज्य सरकार ने पिछले वर्ष कैलेंडर भी जारी किया था. लेकिन, हालत यह है कि अभी तक बीज उपलब्ध कराने के लिए टेंडर प्रक्रिया भी पूरी नहीं हो पाई है. ऐसे में समय पर बीज उपलब्ध नहीं होने से राज्य के किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.
धान की खेती के लिए किसान मई के अंतिम सप्ताह से खेतों में बीज डालते हैं. प्री मॉनसून के दौरान होने वाली हल्की बारिश, धान के बिचड़ा के लिए अच्छी मानी जाती है. धान की खेती के लिए बीज की क्वालिटी के अनुसार प्रति हेक्टेयर में 70-100 किलो बीज की आवश्यकता होती है. राज्य सरकार ने पिछले वर्ष 1800 हजार हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया था. अगर पिछले वर्ष को ही इस वर्ष भी आधार माना जाए तो किसानों को सिर्फ धान के लिए 12 लाख क्विंटल से लेकर 18 लाख क्विंटल बीज की आवश्यकता होगी.