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स्कूली बच्चों के ड्रॉप आउट रोकने में जुटा शिक्षा विभाग, 'प्रयास' से वापस आएंगे छात्र - Jharkhand news

सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले इसे लेकर राज्य सरकार कई तरह के प्रयास कर रही है. लेकिन इसके बाद भी सरकारी स्कूलों में बच्चे बीच में ही पढ़ाई छोड़ दे रहे हैं. अब ड्रॉप आउट को कम करने के लिए शिक्षा विभाग ने अपनी कोशिशें तेज कर दी हैं.

drop out of school children In Jharkhand
drop out of school children In Jharkhand

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Published : Jun 16, 2023, 3:39 PM IST

के रवि कुमार, शिक्षा सचिव

रांची: सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले इसे लेकर राज्य सरकार के द्वारा कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं. मगर हकीकत यह है कि इसके बावजूद सरकारी स्कूलों से बच्चे पढ़ाई छोड़ कर चले जाते हैं. सरकारी स्कूलों से पढ़ाई बीच में ही छोड़ कर जाने वाले छात्रों का आंकड़ा करीब 10% है. इन्हें फिर से स्कूल वापस लाने के लिए शिक्षा विभाग अभियान चला रहा है.

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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर 16 जून से शिक्षा विभाग ने ड्रॉप आउट बच्चों को फिर से स्कूल से जोड़ने की कवायत शुरू कर दी है. इसके लिए अधिकारियों को जिला स्तर पर विशेष रूप से जिम्मेदारी दी गई है. झारखंड शिक्षा परियोजना ने इस अभियान को सफल बनाने के लिए हर जिले में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश दिए हैं. प्रयास नाम से शुरू किए गए इस कार्यक्रम के संयोजक ममता लकड़ा बताती हैं कि जिलास्तर पर कार्यक्रम स्कूलों के खुलते ही 19 जून से शुरू होगा.

कार्यक्रम में स्कूल छोड़ने वाले बच्चों का फिर से नामांकन करना होगा. शिक्षा विभाग ने सितंबर तक अनामांकित और ड्रॉप आउट 53 हजार 247 बच्चों का नामांकन पूरा करने का लक्ष्य बनाया गया है. प्रयास कार्यक्रम की नियमित मॉनिटरिंग की जाएगी और इस अभियान में स्थानीय जनप्रतिनिधियों का भी सहयोग लिया जाएगा. इसके लिए अभिभावकों के बीच जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा.

शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार राज्य में करीब 10% स्कूली बच्चे बीच में ही पढ़ाई छोड़ कर चले जाते हैं. इसके पीछे कई कारण हैं, जिन्हें रोकना शिक्षा विभाग के लिए बेहद ही चुनौती भरा काम है. शिक्षा सचिव के रवि कुमार के अनुसार बच्चों के स्कूल छोड़ने के पीछे कई वजहें हो सकती हैं. सामाजिक-आर्थिक कारणों के साथ-साथ जागरूकता का अभाव भी हो सकता है. जिसके लिए शिक्षा विभाग ने पूरी कार्य योजना बनाई है. उम्मीद है कि आने वाले समय में ड्रॉपआउट रेट और भी कम होगा. उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष की तुलना में इस बार ड्रॉपआउट रेट में कमी आई है. उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्तर के आंकड़े से तुलनात्मक तौर पर झारखंड में ड्रॉप आउट कम है इसके बावजूद अभियान चलाकर ऐसे बच्चों को स्कूली शिक्षा से जोड़ने का प्रयास एक बार फिर से किया जाएगा.

ड्रॉपआउट आंकड़े हैं चिंताजनक:शिक्षा विभाग के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो स्कूली बच्चों की पढ़ाई छोड़ने का आंकड़ा बेहद ही चिंताजनक है. राज्य के 24 में से 12 जिलों में 10 फीसदी से अधिक बच्चे ड्रॉपआउट कर जाते हैं. झारखंड शिक्षा परियोजना की रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा गढ़वा जिले में ड्रॉप आउट की दर है, जहां 23 फीसदी स्कूली बच्चे बीच में ही पढ़ाई छोड़ देते हैं. इसके अलावा गुमला में 17.7%, खूंटी में 17.5%, सिमडेगा में 16.5% साहिबगंज में 16.2 %, पश्चिम सिंहभूम में 15.7%, लोहरदगा में 15%, गिरिडीह में 14.3%, पाकुड़ में 12.5% चतरा में 11.5%, देवघर में 11.4% और दुमका में 11.3% विद्यार्थी दसवीं के बाद स्कूल छोड़ देते हैं.

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