झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / state

झारखंड के अर्थशास्त्री का दावा भारत की अर्थव्यवस्था में मंदी 'अलार्मिंग' नहीं, होंगे दूरगामी परिणाम

भारत की अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ने लगी है. इसे लेकर राजनीति भी जोर शोर से चल रही है. आर्थिक मंदी से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने कई तरह के कदम उठाए हैं. क्या वाकई देश की अर्थव्यवस्था मंदी के दौर से गुजर रही है और अगर गुजर रही है तो इसके समाधान के क्या उपाय हो सकते हैं? इसपर ईटीवी भारत संवाददाता ने देश के जाने माने आर्थशास्त्री प्रोफेसर चौधरी से खास बातचीत की.

आर्थशास्त्री प्रोफेसर चौधरी से खास बातचीत

By

Published : Sep 15, 2019, 5:48 PM IST

Updated : Sep 15, 2019, 10:48 PM IST

रांची:भारत की अर्थव्यवस्था में मंदी की चर्चा इन दिनों जोरों पर है. अर्थव्यवस्था के मंदी की तरफ बढ़ने पर आर्थिक गतिविधियों में चौतरफा गिरावट आती है, साथ ही ऐसे कई दूसरे पैमाने भी हैं, जो अर्थव्यवस्था की मंदी के तरफ बढ़ने के संकेत देते हैं.

आर्थशास्त्री प्रोफेसर चौधरी से बात करते संवाददाता प्रशांत सिंह

क्या वाकई देश की अर्थव्यवस्था मंदी के दौर से गुजर रही है और अगर गुजर रही है तो इसके समाधान के क्या उपाय हो सकते हैं ? इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने संत जेवियर कॉलेज के अर्थशास्त्र डिपार्टमेंट के एचओडी प्रोफेसर चौधरी से बातचीत की.

इसे भी पढ़ें:-आर्थिक मंदी पर झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स ने जताई चिंता, कहा- ध्यान नहीं दिया तो और खराब होगी हालत

जीडीपी का घटना मंदी का संकेत
प्रोफेसर चौधरी का कहना है कि यदि किसी अर्थव्यवस्था की विकास दर या जीडीपी तिमाही दर तिमाही लगातार घट रही है तो इसे आर्थिक मंदी का बड़ा संकेत माना जाता है. प्रोफेसर चौधरी के अनुसार यह आर्थिक मंदी आंशिक है. यह नहीं कहा जा सकता है कि देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से मंदी का शिकार हो गई है. प्रोफेसर चौधरी के अनुसार अर्थव्यवस्था में जब लिक्विडिटी घटती है तो इसे भी आर्थिक मंदी का संकेत माना जाता है. इसे सामान्य तरीके से समझें तो लोग पैसे खर्च करने या निवेश करने से परहेज करते हैं, ताकि उसका इस्तेमाल बुरे वक्त में कर सकें इसलिए पैसा अपने पास रखते हैं. मौजूदा हालात भी कुछ ऐसा ही है.

देखा जाए तो अर्थव्यवस्था की मंदी के सभी कारणों का एक दूसरे से ताल्लुक है इनमें से कई कारण मौजूदा समय में हमारी अर्थव्यवस्था में मौजूद है. इसी वजह से लोगों के बीच आर्थिक मंदी कब है लगातार घर रहा है, लेकिन स्थिति इतनी भी खराब नहीं है जितना इसे बताया जा रहा है. प्रोफेसर चौधरी के अनुसार देश में कई सेक्टर जैसे ऑटोमोबाइल हाउसिंग सेक्टर में गिरावट देखने को मिल रही है, जिसके फलस्वरूप नौकरियों के अवसर कम हो रहे हैं और कई जगहों पर कर्मचारियों की छटनी भी की गई है.

इसे भी पढे़ं:-जाली नोट के कॉरिडोर के रूप में हो रहा है झारखंड का इस्तेमाल, पुलिस की उड़ी नींद

प्रोफेसर चौधरी ने जानकारी दी कि मंदी से निबटने के लिए सरकार ने कई तरह के उपाय करने शुरू कर दिए हैं. मंदी से निपटने के लिए सरकारी बैंकों के विलय को लेकर महत्वपूर्ण फैसला लिया गया है. प्रोफेसर चौधरी के अनुसार केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक मंदी के हालात से निपटने के लिए अलग-अलग सेक्टर्स उद्योग और आम आदमी को मंदी से राहत देने वाली कई घोषणाएं की हैं. उनमे प्रमुख हैं ...

  • बैंकों ने तय किया है कि अब आरबीआई के द्वारा रेपो रेट में की गई कटौती का फायदा सीधे ग्राहकों को दिया जाएगा. इसका असर यह होगा कि ग्राहकों को अब होम और ऑटो लोन सस्ते मिलेंगे.
  • ऑटोमोबाइल सेक्टर में छाई मंदी को दूर करने के लिए नॉन बैंकिंग कंपनियां आधार यानी केवाईसी के आधार पर लोन दे पाएंगे सरकार ने सरकारी विभागों द्वारा वाहनों की खरीद पर लगी रोक को भी हटा लिया है.
  • सरकार ने नए वाहनों की रजिस्ट्रेशन फीस में इजाफे को भी जून 2020 तक टाल दिया है.
  • इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के लिए 100 लाख करोड़ का पैकेज देने की घोषणा हुई है. इस सेक्टर के कामकाज पर नजर रखने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स भी बनाया गया है.

प्रोफेसर चौधरी के अनुसार वर्तमान समय में अर्थव्यवस्था की स्थिति इतनी भी खराब नहीं हो गई है कि लोग यह समझने लगे कि अब आगे स्थिति और खराब होने वाली है. उन्होंने बताया कि ऑटोमोबाइल सेक्टर में मंदी का आना आम लोगों का पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर निर्भरता बढ़ने की वजह से है. आम लोग अब पब्लिक ट्रांसपोर्ट का यूज ज्यादा कर रहे हैं, यही वजह है कि ऑटोमोबाइल सेक्टर में इसका प्रभाव पड़ा है. प्रोफेसर चौधरी के अनुसार ऑटोमोबाइल और रियल स्टेट का बिजनेस किसी भी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है. भारत में फिलहाल इन्हीं दोनों क्षेत्रों में गिरावट आई है जिसे बड़े मंदिर का नाम दिया जा रहा है.

प्रोफेसर चौधरी ने बताया कि ऑटोमोबाइल सेक्टर में त्योहारों के सीजन में हालात ठीक होने शुरू हो जाएंगे. अर्थव्यवस्था को लेकर डरने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार जिस तरह के उपाय कर रही है उससे दूरगामी परिणाम निकलेंगे जो अर्थव्यवस्था को मंदी से निकालने का काम करेगा. प्रोफेसर चौधरी देश के जाने-माने अर्थशास्त्री हैं फिलहाल रांची के प्रतिष्ठित संत जेवियर कॉलेज में अर्थशास्त्र के हेड ऑफ डिपार्टमेंट हैं.

Last Updated : Sep 15, 2019, 10:48 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details