रांची:झारखंड मुक्ति मोर्चा में गुरुजी की विरासत पर कशमकश जारी है. एक तरफ गुरुजी के एक बेटे हेमंत सोरेन के हाथ में पार्टी है तो बड़ी बहू सिर्फ विधायक हैं. पार्टी में बहुत उनकी सुनवाई नहीं है, इसका उन्होंने खुले तौर पर कई बार जिक्र भी किया है. इधर, बीते दिन राज्यपाल से शिकायत कर जामा से विधायक और शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन ने अपनी ही सरकार की नीतियों के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद कर दिया था. इस बीच छह अप्रैल को रांची में दुर्गा सोरेन सेना के राज्य स्तरीय सम्मेलन का आयोजन सीता सोरेन की बेटियों यानि दिशोम गुरु शिबू सोरेन की पोतियों ने किया है. इसमें वे जल जंगल और जमीन का आंदोलन शुरू करेंगी.
राजनीतिक हलकों में इसे राजनीतिक विरासत में हिस्सेदारी और सियासी जमीन तलाशने से जोड़ कर देखा जा रहा है. हालांकि दुर्गा सोरेन सेना की कर्ता-धर्ता सीता सोरेन की बेटियां हमेशा यही कहती हैं कि वे अपनी सरकार की मदद कर रहीं हैं. लेकिन चूंकि राज्य में जेएमएम की ही सरकार है, इसलिए दुर्गा सोरेन सेना की गतिविधियां और उनके उठाए सवाल जेएमएम के कितना हक में जाएंगी. यह भविष्य में ही पता चलेगा.
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विधायक क्लब सभागार में सम्मेलनःदुर्गा सोरेन सेना की केंद्रीय अध्यक्ष जयश्री सोरेन ने कहा कि झारखंड राज्य की लड़ाई और आदिवासी-मूलवासियों के हितों की रक्षा को लेकर चले लंबे संघर्ष में दिशोम गुरु शिबू सोरेन के सबसे बड़े पुत्र होने के नाते दुर्गा सोरेन ने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया है. उनके अधूरे सपने को पूरा करने और हर घर से अंधियारे को दूर करने के लिए नया उलगुलान होगा. उनके अधूरे सपने को पूरा करने के लिए दुर्गा सोरेन सेना का गठन किया गया है और संगठन का पहला राज्यस्तरीय सम्मेलन आगामी 6 अप्रैल बुधवार को राजधानी रांची के पुरानी विधानसभा स्थित विधायक क्लब सभागार में आयोजित किया जाएगा.
दुर्गा सोरेन सेना की केंद्रीय अध्यक्ष जयश्री सोरेन ने कहा कि सम्मेलन में केंद्रीय पदाधिकारियों और जिलाध्यक्षों के नाम की घोषणा होगी. वहीं भावी कार्यक्रमों की रूपरेखा, संगठनात्मक विस्तार और आंदोलनात्मक कार्यक्रम समेत अन्य मुद्दों पर चर्चा होगी. दुर्गा सोरेन सेना की केंद्रीय अध्यक्ष जयश्री सोरेन ने बताया कि उनके पिता दुर्गा सोरेन ने यह सपना देखा था कि अलग झारखंड राज्य गठन के बाद हर हाथ को काम मिले, हर खेत को पानी मिले, महिलाओं को पूर्ण सुरक्षा मिले, हर बच्चा स्कूल जाए, खेल के मैदान में अपनी प्रतिभा दिखाए, ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य की बेहतर सुविधा मिले, स्वच्छ पेयजल और बेहतर सड़क तथा 24 घंटे बिजली मिले. लेकिन उनके पिता का सपना अधूरा है. जयश्री सोरेन ने कहा कि सबने मिलकर जो सपना देखा था, उसे पूरा करने के लिए ही दुर्गा सोरेन सेना का गठन किया गया है. इसी क्रम में सामाजिक सेवा में अग्रसर संगठन की ओर से आगामी 6 अप्रैल को राज्यस्तरीय सम्मेलन आयोजित कर भावी कार्यक्रमों की रूपरेखा तय की जाएगी.
दुर्गा सोरेन सेना की अध्यक्ष ने कहा कि संगठन के गठन का मुख्य उद्देश्य सामाजिक है, अधूरे सपने को पूरा करने के दृष्टिकोण से पूरे राज्य में संगठन का विस्तार होगा. सभी विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों की जनसमस्याओं को चिह्नित कर उसके समाधान को लेकर आवाज बुलंद की जाएगी. इसे लेकर मुख्यालय स्तर पर एक टीम गठित होगी, जहां आने वाली शिकायतों के त्वरित निष्पादन के लिए संबंधित जिलों के अधिकारियों को पत्र लिखकर और उनसे संपर्क कर समस्या का समाधान कराने की कोशिश होगी.
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जयश्री सोरेन ने कहा कि अलग झारखंड राज्य गठन के बाद भी इस सच्चाई से इंकार नहीं किया जा सकता है कि झारखंड देश के अन्य राज्यों से काफी पिछड़ गया है. एसडीजी 2020 की रिपोर्ट के अनुसार पेयजल और स्वच्छता मामले में झारखंड का देशभर के 28 राज्यों में 19वां स्थान पर है और बिहार से भी खराब स्थिति है. वहीं जंगल के मामले में स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट 2021 के अनुसार वन कवर में 25.5 लाख डिसमिल की कमी आई है तो सवाल है कि जंगल कहां गायब हो जा रहे हैं.
जयश्री सोरेन ने कहा कि इसी तरह कुपोषण के मामले में एमपीआई 2021 के अनुसार झारखंड में 48 प्रतिशत अल्पपोषण-कुपोषित हैं जो बिहार को छोड़ कर सभी पड़ोसी राज्यों से खराब स्थिति में है. स्वच्छता में एनएफएचएस-4 सर्वेक्षण के अनुसार 75 प्रतिशत आबादी स्वच्छता से वंचित है, जो पूरे भारत में सबसे खराब स्थिति है. वहीं शिक्षा में एसडीजी 2020 के तहत तैयार गुणवत्ता शिक्षा सूचकांक में झारखंड 28 राज्यों में 21वें स्थान पर है. बिहार को छोड़कर अन्य सभी पड़ोसी राज्यों ने इससे बेहतर प्रदर्शन किया. रोजगार की बात करें तो नीति आयोग और पीएलएफएस से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में 18.1 प्रतिशत कार्यबल बेरोजगार है, जबकि पड़ोसी राज्य ओडिशा में बेरोजगारी दर 1.1 प्रतिशत तथा छत्तीसगढ़ में 3.1 प्रतिशत है. गरीबी की बात करें तो एमपीआई 2021 के अनुसार गरीबी के मामले में झारखंड दूसरा सबसे प्रदर्शन करने वाला राज्य है,जहां 22 साल भी 42.14 आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर करने को मजबूर हैं.