रांची: दुर्गा पूजा सिर्फ आम लोगों के लिए ही उत्साह नहीं लाता बल्कि मूर्ति और पंडाल बनाने वाले कारीगरों के लिए भी विशेष होता है. 10 दिनों के इस पूजा में झारखंड की राजधानी रांची में आये बाहर के कारीगर अपनी कारीगरी से लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं. राजधानी रांची के बांधगाड़ी पूजा पंडाल (Durga Puja 2022 pandal in Ranchi) की बात करें तो यहां पर कुछ ऐसा सजावट किया जा रहा है, जिसमें लोग इस पंडाल में आने के बाद यह भूल जाएंगे कि वह झारखंड में है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इस पंडाल की सजावट राजस्थान और गुजरात के थीम पर की गई है. पूजा समिति के लोगों ने बताया कि इस बार पंडाल को भव्य रूप दिया गया है क्योंकि पूजा समिति और स्थानीय लोगों को कोरोना काल के 2 साल बाद पूजा मनाने का मौका मिला है.
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पंडाल की खासियत: पूजा समिति के लोगों ने बताया कि इस साल करीब 35 लाख रुपए खर्च किए गए हैं. पंडाल को राजस्थान और गुजरात के ग्रामीण क्षेत्रों का प्रारूप दिया गया है. पंडाल में यह दिखाने की कोशिश की गई है कि गुजरात और राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे लोग कैसे खुश और संतुष्ट हैं. उसी प्रकार झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में भी खुशहाली लाई जाए.
Durga Puja 2022: रांची के इस पंडाल में राजस्थान और गुजरात की झलक, जानें क्या है खासियत
रांची में दुर्गा पूजा (Durga Puja 2022) की तैयारियां जोर शोर से चल रही है. पूजा पंडाल लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहने वाले हैं. बाहर से आए कारीगरों की कारीगरी पंडालों को भव्य रूप दे रहे हैं. राजधानी रांची के बांधगाड़ी पूजा पंडाल की सजावट ऐसी है कि लोग भूल जाएंगे कि वे झारखंड में हैं.
समृद्ध गांवों की झलक:पूजा समिति के अध्यक्ष रमेश गोप बताते हैं कि आज भी झारखंड के कई ग्रामीण क्षेत्रों में लोग विभिन्न समस्याओं से जूझ रहे हैं, जैसे आर्थिक संकट, सामाजिक संकट. उन्होंने बताया कि आज भी झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में डायन बिसाही और अन्य समस्याएं देखने को मिलती है. ऐसी ही कुप्रथा के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए पंडाल में राजस्थान और गुजरात के समृद्ध गांवों की झलक दिखाई जा रही है.
क्या कहते हैं कारीगर:बंगाल के मेदिनीपुर से आए कारीगरों ने बताया कि निश्चित रूप से 2 वर्षों के बाद उन्हें बाहर के राज्य जाकर काम करने का मौका मिला है. बाहर से आए कारीगर कार्तिक कुमार बताते हैं झारखंड राज्य में ही बंगाल की तरह दुर्गा पूजा (Durga Puja in Jharkhand) मनाया जाता है इसलिए यहां पर सबसे ज्यादा मौका मिल रहा है. सिर्फ बांध गाड़ी पूजा समिति की बात करें तो यहां पर करीब 50 कारीगर काम कर रहे हैं. वहीं रेलवे स्टेशन रातू रोड जैसे पूजा पंडालों में भी बाहर से आए कारीगर अपनी कारीगरी दिखाने पहुंचे हैं. कोलकाता से आए कारीगरों ने बताया कि झारखंड बिहार और अन्य प्रांतो में काम मिलने से उन्हें आर्थिक लाभ तो मिलता ही है. साथ ही साथ उन्हें अपने कारीगिरी का प्रचार करने का भी मौका मिलता है.
क्या कहते हैं पूजा समिति के सदस्य: पूजा समिति से जुड़े लोगों ने बताया कि इस बार बंगाल की तरह ही झारखंड में दुर्गा पूजा पंडाल (Durga Puja Pandal in Jharkhand 2022) सजाए जा रहे हैं. उम्मीद है कि यहां आने वाले लोग इस साल पंडाल की खूबसूरती का आनंद लेंगे और दुर्गा पूजा में शक्ति की देवी मां दुर्गा से राज्य और समाज के विकास एवं समृद्धि की प्रार्थना करेंगे.