रांची: डुमरी विधानसभा उपचुनाव इमोशन बनाम विकास के मुद्दे पर होना तय माना जा रहा है. एक तरफ यूपीए ने जगरनाथ महतो की पत्नी बेबी देवी को निर्वाचन से पहले मंत्री बनाकर बड़ा राजनीतिक दांव खेला है. वहीं दूसरी ओर एनडीए केंद्र की मोदी सरकार के विकास और हेमंत सरकार की खामियों को लेकर जनता के बीच उतरने का निर्णय लिया है.
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जगरनाथ महतो के निधन से खाली हुए डुमरी विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराने की सुगबुगाहट तेज हो गई है. इस सीट पर किसका कब्जा होगा वह तो वक्त ही बताएगा मगर जिस तरह से राजनीतिक परिस्थितियां बन रही हैं, उससे साफ लग रहा है कि यूपीए और एनडीए दोनों के लिए यह प्रतिष्ठा की सीट बन गई है. इस सीट पर इमोशन और विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ा जाएगी.
बेबी देवी चुनाव से पहले ही बनीं मंत्री: झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इमोशनल कार्ड खेलते हुए दिवंगत नेता जगरनाथ महतो की पत्नी बेबी देवी को निर्वाचन से पहले मंत्री बनाकर अघोषित प्रत्याशी के रूप में डुमरी की जनता के बीच में ला दिया है. इस तरह का राजनीतिक ट्रिक्स कभी राजद के शासनकाल में बिहार में लालू प्रसाद किया करते थे, जिसके बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इसे मधुपुर विधानसभा उपचुनाव में प्रयोग कर शुरू किया. झारखंड मुक्ति मोर्चा को उम्मीद है कि मधुपुर की तरह डुमरी उपचुनाव में भी जरूर सफलता मिलेगी.
एनडीए का कौन होगा प्रत्याशी: यूपीए द्वारा प्रत्याशी की घोषणा करने के बाद सबकी नजर एनडीए पर है. खास बात यह है कि एनडीए के दो प्रमुख घटक दल भारतीय जनता पार्टी और आजसू इस सीट पर चुनाव लड़ने के लिए अलग-अलग तैयारी में जुटे हैं. इस सीट पर चुनाव कौन लड़ेगा अब तक तय नहीं हो पाया है. आजसू के देवशरण भगत कहते हैं कि 2019 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर आजसू के प्रत्याशी दूसरे नंबर पर थे, इसलिए पहला हक आजसू को बनता है. हालांकि इस पर अभी निर्णय होना बाकी है.
बाबूलाल के लिए होगा पहली परीक्षा:इधर डुमरी विधानसभा उपचुनाव भारतीय जनता पार्टी और नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के लिए किसी प्रतिष्ठा से कम नहीं है. प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद डुमरी विधानसभा उपचुनाव बाबूलाल मरांडी के लिए पहली परीक्षा होगी. पंचम विधानसभा के कार्यकाल में अब तक चार उप चुनाव हो चुके हैं. जिसमें रामगढ़ को छोड़ दें तो तीन उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी को असफलता ही हाथ लगी है. ऐसे में बाबूलाल के लिए डुमरी विधानसभा उपचुनाव किसी चुनौती से कम नहीं होगी.
बीजेपी नेता प्रदीप वर्मा कहते हैं कि प्रत्याशी किसका होगा यह समय आने पर तय हो जाएगा मगर यह जरूर तय हो चुका है की डुमरी विधानसभा उपचुनाव में एनडीए प्रत्याशी की ही जीत होगी. बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता अनिमेष कुमार कहते हैं कि बाबूलाल मरांडी के लिए भलें ही डुमरी विधानसभा उपचुनाव बतौर प्रदेश अध्यक्ष के रूप में आप पहली परीक्षा मान सकते हैं. मगर वही बाबूलाल मरांडी हैं जो झारखंड मुक्ति मोर्चा के गढ़ माने जाने वाला दुमका में गुरुजी शिबू सोरेन को हरा चुके हैं.
झारखंड मुक्ति मोर्चा को हमेशा चुनौती देने वाले बाबूलाल मरांडी डुमरी विधानसभा उपचुनाव में भी ना केवल चुनौती देंगे बल्कि जीत दर्ज कर यूपीए को सबक सिखाने का काम करेंगे. बहरहाल दांवों के बीच डुमरी विधानसभा उपचुनाव में इतना तो साफ है कि इमोशन के बल पर जहां झारखंड मुक्ति मोर्चा यूपीए के सहयोगी दल के साथ चुनाव मैदान में उतरेगी. वहीं एनडीए केंद्र में मोदी सरकार की उपलब्धि और राज्य की हेमंत सोरेन सरकार की खामियों को लेकर जनता के बीच जाने का काम करेगी.