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DSPMU में सेमेस्टर प्रमोट और फीस माफी को लेकर छात्र संघ ने किया प्रदर्शन, वीसी को बनाया बंधक - डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय

डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में समेस्टर प्रमोट और सेमेस्टर फीस माफी को लेकर किसी भी तरीके का निर्णय अब तक नहीं हुआ है. इसे लेकर छात्र संघ ने वीसी कार्यालय का घेराव कर प्रदर्शन किया और घंटों कार्यालय में ताला जड़कर वीसी को बंधक बनाकर रखा गया.

DSPMU में सेमेस्टर प्रमोट और फीस माफी को लेकर छात्र संघ ने किया प्रदर्शन
Student union strike before office in DSPMU

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Published : Jun 26, 2020, 6:48 PM IST

रांची: डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के छात्र संघ ने शुक्रवार को सेमेस्टर प्रमोट करने और सेमेस्टर फीस माफ करने की मांग को लेकर वीसी कार्यालय का घेराव कर प्रदर्शन किया. घंटों कार्यालय में ताला जड़कर वीसी को बंधक बनाकर रखा गया. इस दौरान वीसी एसएन मुंडा ने कहा कि इनकी मांगों पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने संज्ञान लिया है. पदाधिकारियों के साथ एक बैठक कर उचित निर्णय लिया जाएगा.

देखें पूरी खबर
झारखंड के अधिकतर विश्वविद्यालयों में यूजीसी की गाइडलाइन के तहत कोरोना महामारी को देखते हुए समेस्टर प्रमोट किया जा रहा है, लेकिन डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में समेस्टर प्रमोट को लेकर किसी भी तरीके का निर्णय अब तक नहीं हुआ है. वीसी एसएन मुंडा का कहना है कि वह सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करते हुए विद्यार्थियों का परीक्षा लेंगे. इसके अलावा ऑनलाइन परीक्षा व्यवस्था की भी सहयोग ली जा सकती है, लेकिन विश्वविद्यालय के इस निर्णय का विरोध डीएसपीएमयू छात्र संघ ने जोरदार तरीके से किया है.

डीएसपीएमयू के छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. छात्र नेताओं का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन सेमेस्टर फीस को लेकर विद्यार्थियों पर गंभीर दबाव बना रहा है. इसके लिए लगातार विद्यार्थियों को मैसेज किया जा रहा है, जबकि इस विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले अधिकतर विद्यार्थी बीपीएल कैटेगरी के हैं. ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं. कोरोना वायरस के मद्देनजर लोगों की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है. ऐसे में 20 हजार रुपये सेमेस्टर फीस देना विद्यार्थियों के लिए काफी परेशानी भरा है.

वीसी ने लिया संज्ञान

पूरे मामले को लेकर डीएसपीएमयू के कुलपति एसएन मुंडा का कहना है कि इन विद्यार्थियों की मांगों की ओर गौर करते हुए विश्वविद्यालय के पदाधिकारी और एकेडमिक काउंसिल की बैठक आयोजित करनी पड़ेगी. उसके बाद प्रस्ताव को सिंडीकेट में रखा जाएगा. तब जाकर इनकी मांगों को पूरा किया जा सकता है. इस प्रक्रिया में समय लगेगी. उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों की परेशानी को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से आने वाले समय मे उनके हित में ही फैसला लिया जाएगा.

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