रांची:साहिबगंज में 1000 करोड़ के अवैध खनन और उसके परिवहन से जुड़े केस में छह दिसंबर को ईडी की तरफ से डीएसपी प्रमोद मिश्रा को समन जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया था. मामले को लेकर आठ दिसंबर को झारखंड के डीजीपी नीरज सिन्हा ने भी एक निर्देश डीएसपी के लिए जारी किया था. इस निर्देश को पुलिस मुख्यालय के डीएसपी विधि ने प्रमोद मिश्रा को भेजा था. जिसमें कहा गया था कि वह ईडी के समन पर 12 दिसंबर को दिन के 11 बजे उपस्थित हों. लेकिन ईडी के समन और पुलिस मुख्यालय के निर्देश के बावजूद प्रमोद मिश्रा सोमवार को एजेंसी के समक्ष हाजिर नहीं हुए. यही नहीं डीएसपी प्रमोद मिश्रा (DSP Pramod Mishra) ने अपनी उपस्थिति को लेकर ईडी के साथ कोई पत्राचार भी नहीं किया है जिसमे उनके द्वारा कोई और तारीख की मांग की गई हो. ऐसे में दिनभर ईडी के अधिकारी प्रमोद मिश्रा का इंतजार करते रह गए.
अवैध खनन मामलाः डीजीपी के निर्देश के बावजूद ईडी के समक्ष हाजिर नहीं हुए डीएसपी प्रमोद मिश्रा
पंकज मिश्रा को 24 घंटे के अंदर क्लीनचिट देने के मामले में ईडी के रडार पर आए डीएसपी प्रमोद मिश्रा (DSP Pramod Mishra) समन के बावजूद सोमवार को ईडी के सामने हाजिर नहीं हुए. जबकि डीजीपी ने भी डीएसपी को यह निर्देश दिया था कि वह ईडी के सामने हाजिर हों.
ये भी पढ़ें-सुबह सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत, शाम में फूलने लगी सांसे, इलाज के लिए रिम्स पहुंची पूजा सिंघल
जेल में रहने के दौरान पंकज मिश्रा से बातचीत का आरोप:ईडी ने अपनी चार्जशीट में बताया है कि पंकज मिश्रा ने राजनीतिक संरक्षण का इस्तेमाल अवैध खनन और ट्रांसपोर्टिंग में किया. इस मामले में ईडी को अंदेशा है कि प्रमोद मिश्रा भी अवैध खनन से जुड़े मामलों में संलिप्त रहे हों. साथ ही ईडी के द्वारा न्यायिक हिरासत में रहने के दौरान फोन पर बातचीत व रिम्स जाकर पंकज मिश्रा से मुलाकात करने का संदेह भी प्रमोद मिश्रा पर है. इन मामलों को लेकर भी प्रमोद मिश्रा से ईडी को जवाब तलब करना था.
24 घंटे में दे दी थी क्लीन चिट:गौरतलब है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा और राज्य सरकार के मंत्री आलमगीर आलम को एफआइ्रआर दर्ज होने के 24 घंटे के भीतर ही साहिबगंज पुलिस ने क्लीन चिट दे दी थी. 24 घंटे के अंदर क्लीनचिट देने वाले डीएसपी प्रमोद मिश्रा को सोमवार को ईडी के सवालों का जवाब देना था कि आखिर उन्होंने कैसे मात्र 24 घंटे में दोनो को क्लीन चिट दी.
सरफुद्दीन खान ने लिया था डीएसपी का नाम:दरअसल, ईडी ने बरहरवा टोल प्लाजा टेंडर (Barharwa Toll Plaza Tender) को लेकर हुए विवाद से जुड़े केस में अनुसंधानकर्ता सरफुद्दीन खान को पूछताछ के लिए बुलाया था. अनुसंधानकर्ता से केस से जुड़े सारे कागजात की मांग ईडी ने की थी. इस दौरान अनुसंधानकर्ता ने ईडी को बताया कि वरीय अधिकारियों के कहने पर केस में पंकज मिश्रा और मंत्री आलमगीर आलम को अगले ही दिन क्लीनचिट दे दी गई थी. सरफुद्दीन खान ने ईडी के सामने यह स्वीकार किया था कि डीएसपी प्रमोद मिश्रा के कहने पर ही क्लीन चिट की कार्रवाई की गई थी.
22 जून को केस हुआ, 23 जून को सुपरविजन में क्लीनचिट:ईडी ने बरहरवा टोल प्लाजा टेंडर केस की पड़ताल में पाया था कि 22 जून 2020 को ठेकेदार शंभू नंदन भगत ने पंकज मिश्रा, आलमगीर आलम समेत 11 लोगों पर नामजद केस कराया था. लेकिन केस में 23 जून 2020 को बरहरवा के तत्कालीन डीएसपी प्रमोद कुमार मिश्रा ने दोनों हाईप्रोफाइल आरोपियों को क्लीनचिट दे दी. इस मामले में डीएसपी ने ना तो वादी का बयान लिया, ना ही वायरल ऑडियो की ही जांच करायी. इस केस में वादी शंभूनंदन भगत के द्वारा दिए गए तथ्यों की जांच भी पुलिस ने नहीं की. ईडी ने केस की समीक्षा के बाद आए तथ्यों व केस के अनुसंधानकर्ता के बयानों के बाद केस के सुपरविजन करने वाले डीएसपी प्रमोद कुमार मिश्रा को समन भेजने का फैसला लिया गया था.