रांची: पूरे देश में 6 जुलाई से सावन की शुरुआत हो रही है. भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना को लेकर मंदिरों में अभी से ही तैयारियां शुरू हो गई है, लेकिन कोरोना के संकट को देखते हुए श्रावणी मेले पर संशय लगातार बना हुआ है. विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला का इस बार आयोजन नहीं होने की पूर्ण संभावना बनी हुई है, जिसको लेकर राज्य सहित देश के लोगों में संशय है.
झारखंड में श्रावणी मेला का खासा महत्व है. इस मेले के आयोजन से 100 करोड़ से भी अधिक का व्यवसाय होता है. सरकार को भी कई करोड़ के राजस्व का नुकसान होने के आसार हैं. मेला को लेकर राजधानी के रेडियम चौक स्थित मंदिर में कार्यरत पुजारी बताते हैं की श्रावणी मेला का आयोजन आज से नहीं युगों से चलता रहा है और इसको लेकर भक्तगण एक साल तक उत्साह के साथ इंतजार करते हैं, इसलिए भगवान भोलेनाथ की आराधना के लिए श्रवाणी मेला का आयोजन बेहद जरूरी है, लेकिन कोरोना के संकट को देखते हुए पूजा का आयोजन तो होना ही है, लेकिन मेले के आयोजन के लिए राज्य सरकार फिजिकल डिस्टेंसिंग सहित अन्य एहतियात की व्यवस्था को सुनिश्चित करे. वहीं देवघर के पंडित सह अधिवक्ता जयंत पांडे ने बताया की जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने जगन्नाथ पुरी की रथ यात्रा पर निर्णय लिया है, उसी प्रकार अगर देवघर के श्रावणी मेला पर भी निर्णय लिया जाता है तो निश्चित रूप से श्रावणी मेला का आयोजन करने की प्रक्रिया की जा सकती है, जिससे हजारों लोगों को लाभ होगा.