रांची: लोकसभा चुनाव की घोषणा होने में अभी भले ही तीन महीने से अधिक समय है. मगर राजनीतिक दलों की गतिविधि तेज हो गई है. सबसे ज्यादा बेचैनी INDIA गठबंधन के अंदर देखने को मिल रही है. जहां हर दल यह जरूर चाह रहा है कि केंद्र की सत्ता से बीजेपी को इस बार दूर किया जाए. मगर दलगत स्वार्थ विपक्ष के इस मुहिम को सफल होने में मुश्किल पैदा कर रही है.
बीजेपी को हैट्रिक लगाने से रोकने के लिए बनी राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष का महागठबंधन झारखंड में जमीन पर उतरने से पहले अंदरुनी विवादों से जूझ रहा है. झारखंड में लोकसभा की 14 सीटों में से राजद और कांग्रेस की दावेदारी के बाद जदयू और झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी अधिक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है. राजद, कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के बीच सीटों को लेकर फंसा पेंच अभी सुलझा भी नहीं है कि जदयू प्रदेश प्रभारी अशोक चौधरी के बयान ने इसे और उलझा दिया है. ऐसे में कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रदेश स्तरीय नेताओं ने संयमित बयान देकर बढ़ रहे विवाद को शांत करने में जुट गए हैं.
कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने कहा है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद यानी 3 दिसंबर के बाद कांग्रेस के आला नेता लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट जाएंगे. उसके बाद ही सीटों को लेकर यह तय होगा कि कांग्रेस झारखंड में कितने सीटों पर चुनाव लड़ेगी. इसी तरह झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडे ने भी कहा है कि हर दल के नेता और कार्यकर्ता चाहते हैं कि अधिक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ें. मगर अंतिम निर्णय पार्टी आला कमान का होता है उन्हीं का निर्णय सर्वमान्य होगा.
INDIA में एक अनार सौ बीमार-बीजेपी:इधर, विपक्ष के अंदर सीटों को लेकर मचे घमासान पर चुटकी लेते हुए भारतीय जनता पार्टी ने कहा है कि जिस तरह से हाल के दिनों में विधानसभा चुनाव के दौरान इंडिया गठबंधन के घटक दलों के बीच विरोध के स्वर फूटे हैं, उससे साफ लगता है कि इनके अंदर ऑल इज वेल नहीं है. हालत यह है की सीटों को लेकर एक अनार सौ बीमार की कहावत इंडिया गठबंधन के अंदर चरितार्थ हो रही है. बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने जदयू के झारखंड में चुनाव लड़ने की घोषणा कि आलोचना करते हुए है कहा कि जिस पार्टी में कार्यकर्ता कम और नेता अधिक हो वो पार्टी यदि लोकसभा चुनाव लड़ने की बात करती हो तो अच्छी बात है. जदयू तो अमेरिका का भी चुनाव लड़ सकती है. लोकतंत्र में सबको यह अधिकार है मगर वास्तविकता से दूर होकर कदम नहीं उठाया जाना चाहिए.
बहरहाल लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों के बीच जिस तरह से बयान अभी से आने लगे हैं उससे साफ जाहिर होता है कि 2024 का चुनावी जंग 2019 के लोकसभा चुनाव से अलग होगा. जिसमें झारखंड में सियासत की नई कहानी देखने को मिलेगी.