रांची: झारखंड और देश को टीबी मुक्त बनाने के लिए 20 सितंबर से राज्य भर में डोर टू डोर टीबी स्क्रीनिंग अभियान शुरू हुआ है, जो 20 अक्टूबर तक चलेगा. एक महीने के इस मेगा अभियान में स्वास्थ्य कार्यकर्ता हर घर-घर जाकर लोगों की स्क्रीनिंग कर रहे हैं. अभी राज्य भर के आंकड़े आने शुरू नहीं हुए है, पर रांची जिले के दो दिनों के आंकड़े ही चौकाने वाले हैं.
दो दिनों में 142 टीबी संदिग्ध की पहचान
21 सितंबर को रांची जिले के 12,103 घरों के 57,729 लोगों की टीबी स्क्रीनिंग में 46 टीबी संदिग्ध की पहचान हुई. वहीं, 22 सितंबर को 18,296 घरों के 77,337 लोगों की स्क्रीनिंग की गई जिसमें 96 संदिग्ध की पहचान हुई. कुल मिलाकर रांची के 30,399 घरों के 01 लाख 35 हजार 66 लोगों की टीबी स्क्रीनिंग में 142 ऐसे लोग मिले हैं जिन्हें संदिग्ध माना गया है. यानि उनमें टीबी होने के लक्षण मिले हैं.
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स्क्रीनिंग में किन-किन बातों का रखा जा रहा है ख्याल
रांची जिला में टीबी स्क्रीनिंग अभियान को को-ऑर्डिनेट कर रहे है राकेश कुमार राय ने बताया कि डोर टू डोर स्क्रीनिंग में यदि किसी व्यक्ति को दो सप्ताह से अधिक दिनों से खांसी, बुखार, वजन कम होने और बलगम के साथ खून आ रहा है तो ऐसे लोगों को टीबी संदिग्ध की श्रेणी में रखा जा रहा है. स्क्रीनिंग के बाद ऐसे मरीजों का बलगम जांच, सीबी नेट/ट्रू नेट जांच और छाती का x-ray कराया जाएगा. ताकि टीबी की पुष्टि हो सके. रिपोर्ट आने के बाद मरीजों को मुफ्त दवा और पोषण के लिए मिलने वाली राशि दी जाएगी और ऐसे कंफर्म मरीजों की लगातार मॉनिटरिंग की जाएगी.
अभियान का यह है उद्देश्य
रांची सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार के अनुसार इस अभियान का उद्देश्य टीबी संभावित लक्षणों वाले मरीज को खोज निकालना है. ताकि सही उपचार कर उन्हें रोगमुक्त किया जा सके. इस अभियान के तहत जिले के सभी प्रखंडों में कुल जनसंख्या के 50% आबादी की स्क्रीनिग निर्धारित अवधि यानि 20 अक्टूबर तक करने का लक्ष्य रखा गया था.