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डॉल्फिनमैन पद्मश्री आरके सिन्हा से ETV BHARAT की खास बातचीत, डॉल्फिन के शिकार पर जताई चिंता - पद्मश्री से सम्मानित डॉल्फिन मैन प्रोफेसर रविंद्र कुमार सिन्हा

रांची में ईटीवी भारत की टीम ने पद्मश्री से सम्मानित डॉल्फिनमैन प्रोफेसर रविंद्र कुमार सिन्हा से विशेष बातचीत की. इस दौरान उन्होंने गंगा में डॉल्फिन के शिकार पर चिंता जताई और इन दुर्लभ डॉल्फिन के संरक्षण की अपील की. साथ ही कहा कि नाइलॉन के जाल के कारण अक्सर डॉल्फिन मछुआरों का शिकार हो जाती हैं. इसके लिए उन्होंने जागरूक करने पर जोर दिया.

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डॉल्फिन मैन प्रोफेसर रविंद्र कुमार सिन्हा

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Published : Dec 20, 2020, 2:03 PM IST

Updated : Dec 20, 2020, 2:24 PM IST

रांचीःएक कार्यक्रम में हिस्सा लेने राजधानी पहुंचे पद्मश्री से सम्मानित डॉल्फिनमैन प्रोफेसर रविंद्र कुमार सिन्हा से ईटीवी भारत की टीम ने खास बातचीत की. इस दौरान कोरोना वायरस से बचाव के उपाय के साथ-साथ डॉल्फिन संरक्षण को लेकर युद्ध स्तर पर जागरूकता बढ़ाने संबंधित कई बातों को लेकर चर्चा की गई.

डॉल्फिन मैन पद्मश्री आरके सिन्हा से की खास बातचीत
लोगों को जागरूक करने से बचेंगी डॉल्फिनपद्मश्री से सम्मानित डॉ. रविंद्र कुमार सिन्हा डॉल्फिन संरक्षण को लेकर जाने जाते हैं. इन्हें डॉल्फिनमैन ऑफ इंडिया के रूप में भी जाना जाता है. ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान उन्होंने कोरोना वायरस से बचाव के उपाय के साथ-साथ डॉल्फिन संरक्षण को लेकर भी खुलकर बात की. उन्होंने कहा कि झारखंड के साहिबगंज, राजमहल में काफी डॉल्फिन पाई जाती हैं पर मछली के शिकार के बहाने यहां मछुआरे डॉल्फिन का भी शिकार कर रहे हैं, जो चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में लोगों को जागरूक करना होगा. मछुआरों को भी जानकारी देनी होगी. डॉल्फिन को लेकर वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट लागू है. बाघ संरक्षण के लिए जो एक्ट लागू है उसी एक्ट के तहत डॉल्फिन के शिकार करने वाले लोगों पर कार्रवाई भी होती है. ऐसे में लोगों को जागरूक कर ही डॉल्फिन को बचाया जा सकता है.

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भारत की डॉल्फिन दुर्लभ
डॉ. रविंद्र कुमार सिन्हा ने कहा कि मछुआरों में जानकारी का अभाव है. अगर उन्हें मोनोफिलामेंट नेट यानी नाइलॉन के जाल से मछली पकड़ने से रोका जा सके तो डॉल्फिन को बचाया जा सकता है. भारत के गंगा नदी में पाई जाने वाली डॉल्फिन अंधी होती हैं और उन्हें जाल दिखाई नहीं पड़ता है. इस वजह से वह जाल में फंस जाती हैं. भारत के अलावा विश्व भर में डॉल्फिन की 90 प्रजातियां है. भारत में पाई जाने वाली डॉल्फिन सबसे दुर्लभ प्रजाति की है. इन डॉल्फिन को बचाना भारत के हर एक नागरिक का काम है.

प्लास्टिक का करें कम उपयोग
कोरोना से बचाव को लेकर भी आरके सिन्हा ने कई बातें कहीं. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में भी प्लास्टिक का इस्तेमाल काफी हो रहा है. प्लास्टिक से बनी पीपीई किट हो या फिर अन्य सामग्री उसे जलाया जा रहा है. जिससे वायु प्रदूषण बढ़ रहा है और ऐसी चीजों को रोकने के लिए इंसान को आगे आना होगा. नहीं तो आने वाला कल भयावह हो सकता है. इस दौरान उन्होंने पर्यावरण संरक्षण को लेकर कई जानकारियां ईटीवी भारत की टीम के साथ साझा की.

Last Updated : Dec 20, 2020, 2:24 PM IST

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