डॉ अखिलेश झा और सीपीआई नेता अजय सिंह रांचीः झारखंड में विधानसभा के बजट सत्र शुरू होने से पहले ही डॉक्टरों ने अपनी सुरक्षा के लिए मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट की मांग तेज कर दी है. राज्य के सभी सरकारी और गैर सरकारी क्षेत्र के चिकित्सकों ने आंदोलन की रूपरेखा भी तय कर ली है. सरकार को ज्ञापन देने से लेकर ओपीडी बहिष्कार तक की घोषणा कर दी गयी है.
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मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट की मांग चिकित्सकों की ओर से तेज होते ही इसका विरोध भी शुरू हो गया है. सीपीआई नेता और राज्य में जनस्वास्थ्य प्रोटेक्शन एक्ट की मांग करने वाले अजय सिंह ने कहा कि जो डॉक्टर्स अपने लिए सुरक्षा चाहते हैं, वह आम जनता के स्वास्थ्य की रक्षा कैसे हो इसके लिए चिंतित क्यों नहीं रहते. अजय सिंह ने कहा कि राज्य में कई चिकित्सक ऐसे हैं जो जनता का हित नहीं देखते, उन पर नजर कौन रखेगा. उन्होंने कहा कि आज तक एनएमसी के नॉर्म के अनुसार एथिकल कमिटी क्यों नहीं बनी है. अगर एथिकल कमिटी बनेगी तो वह वैसे डॉक्टरों पर नजर रख सकेगी जो डॉक्टर होकर अनैतिक कृत्य में लगे हैं.
मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट से मरीजों का भी भलाःवहीं, झारखंड हेल्थ सर्विसेस एसोसिएशन के डॉ अखिलेश झा ने कहा कि डॉक्टरों के लिए मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट के लागू होने से इसका लाभ मरीजों को भी होगा, क्योंकि जब डॉक्टर्स सुरक्षित रहेंगे तो वह बेहतर तरीके से मरीजों का इलाज कर सकेंगे. आइएमए झारखंड और झासा की संयुक्त बैठक में एथिकल एंड ग्रीवांस कमिटी संगठन स्तर पर जरूर बनाई गई है. डॉ सुमंत मिश्रा को अध्यक्ष और डॉ संजय कुमार को सचिव बनाया गया है.
यह एथिकल कमिटी कितनी प्रभावी होगी, इस पर भी सवाल खड़ा करने वालों की कमी नहीं है. सीपीआई नेता अजय सिंह, नदीम खान जैसे नेताओं का कहना है कि झारखंड राज्य चिकित्सा परिषद के अंदर में एथिकल कमिटी का गठन होना चाहिए. उसमें भी डॉक्टरों के अलावा अन्य क्षेत्र के बुद्धिजीवियों को शामिल किया जाना चाहिए ताकि आम मरीजों के हितों की रक्षा हो सके.
कई बार मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट को लेकर समर्थन और विरोध में सड़क पर उतर चुके हैं लोगःलंबे समय से राज्य के डॉक्टर्स मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट की मांग करते रहे हैं तो उसका विरोध भी होता रहा है. विधानसभा के पटल पर रखे जाने के बाद भी इसके विरोध का ही असर रहा कि यह कानून नहीं बन सका. इस एक्ट का विरोध करने वाले इस कानून के साथ साथ इलाज में लापरवाही करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ भी कठोर दंडात्मक कार्रवाई के प्रावधान की मांग कर रहे हैं.