मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट पर माननीयों के बयान रांची: झारखंड में एक बार फिर डॉक्टरों को सुरक्षा देने वाली विधेयक चिकित्सा सेवा संस्थान (हिंसा एवं संपत्ति नुकसान) निवारण विधेयक (मेडिकल प्रोटेक्शन विधेयक) 2023 पर चर्चा तेज हो गई है. 15 मार्च को हेमन्त सोरेन की कैबिनेट से इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलते ही, यह चर्चा तेज हो गयी है कि क्या सेवा में लापरवाही बरतने वाले चिकित्सकों के लिए सजा के क्या प्रावधान इसमें हैं.
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भारतीय जनता पार्टी के विधायक समरीलाल ने कहा कि ज्यादातर डॉक्टर संवेदनशील होते हैं, वह सेवा भी करते हैं. उन्हें सुरक्षा मिले लेकिन जब यह विधेयक सदन में आएगा तब वह अपनी मांग रखेंगे कि सबकी सुरक्षा का प्रावधान मेडिकल मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट में हो. निर्दलीय विधायक और पूर्व मंत्री सरयू राय ने कहा कि मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट के साथ-साथ पेशेंट प्रोटेक्शन एक्ट भी हो. उन्होंने कहा कि यह दोनों एक ही विधेयक में हो सकते हैं. वहीं झामुमो के सचेतक और पूर्व मंत्री मथुरा महतो ने कहा कि जब सदन में विधेयक आएगा, तब उसमें संशोधन लाया जाएगा. मथुरा महतो ने कहा कि ऐसा मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट होना चाहिए जिसमें मरीजों के हितों का भी ख्याल रखा जाए.
बन्ना गुप्ता ने कहा जनता प्रोटेक्शन एक्ट:वहीं स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने प्रस्तावित मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट को जनता का प्रोटेक्शन एक्ट बताया है. उन्होंने कहा कि अब कोई अस्पताल पैसे के लिए डेडबॉडी को नहीं रख सकता है. इस तहर के प्रावधान जनता के हित में हैं. उन्होंने कहा कि लापरवाही करने वाले चिकित्सकों के लिए क्लीनिकल स्टैब्लिशमेंट एक्ट, पीसीपीएनडीटी एक्ट में दंड का प्रावधान है.
पहले भी मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट बनाने की कई बार हो चुकी है कोशिश:इससे पहले रघुवर दास की सरकार में भी विधानसभा के अंदर मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट के लिए झारखंड चिकित्सा सेवा से संबंध व्यक्तियों (चिकित्सा सेवा संस्थान हिंसा एवं परिसंपत्ति नुकसान निवारण विधेयक 2017) लाया गया था, जिस पर विधानसभा के अंदर कई सदस्यों के द्वारा विरोध जताने पर इसे प्रवर समिति को सौंप दिया गया था. प्रवर समिति ने कई सुझाव दिए थे, जिसमें आरोपी का पक्ष सुने बिना पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर सकेगी जैसे सुक्षाव थे. इस विधेयक के तहत जो धाराएं लगेगी वह गैर जमानतीय अपराध नहीं होगा और 03 वर्ष की सजा की जगह 18 महीने के कारावास की सजा होगी.
वर्तमान सरकार ने भी मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट के प्रारूप तैयार किया था, लेकिन उसे डॉक्टरों के समूह ने स्वीकार नहीं किया. सूत्र बताते हैं कि उस एक्ट में यह प्रावधान था कि लापरवाह चिकित्सकों पर भी कार्रवाई की जाएगी. जिसपर चिकित्सक समुदाय ने आपत्ति जताई थी. अब हेमन्त सोरेन सरकार ने फिर से मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट को कैबिनेट से पास कराकर विधानसभा के पटल पर लाने की तैयारी की है. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कोशिश है कि इसी बजट सत्र में मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट को विधानसभा के पटल पर प्रस्तुत कर दिया जाए.