रांचीः झारखंड में सीमित संसाधनों के बेहतर मैनेजमेंट से बेहतर पुलिसिंग हो सकती है. यह बातें सीआईडी एडीजी प्रशांत सिंह ने रांची प्रेस क्लब में कही. वे पुलिसिंग की बदलती चुनौतियां और पीपुल फ्रेंडली पुलिसिंग की चर्चा के दौरान लोगों से रूबरू थे. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में पुलिस के सामने भी कई चुनौतियां हैं.
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'जिंदगी के 78 कोहिनूर' का विमोचन
सीआईडी एडीजी ने कहा कि वर्तमान समय में अपराध की शैली बदली है. साइबर अपराध से होने वाला पूंजी का नुकसान, अन्य आर्थिक अपराधों की तुलना में कहीं अधिक है. सीआइडी एडीजी ने कहा कि पुलिसिंग में समय के साथ बदलाव हो रहा है. संसाधन भी थानों को मिल रहे हैं, इन संसाधनों के बेहतर मैनेजमेंट कर पुलिसिंग को और बेहतर किया जा सकता है. सीआईडी एडीजी ने इंग्लैंड और अमेरिकी शहरों में पुलिसिंग पर चर्चा करते हुए कहा कि दूसरे देशों में पुलिस की छवि एंटी ब्लैक रही है, लेकिन हमारे यहां पुलिस की ऐसी कोई छवि नहीं है. परिचर्चा के बाद बिहार पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार सिंह की किताब 'जिंदगी के 78 कोहिनूर' का विमोचन हुआ,
राजनीतिक एजेंडे में शामिल न हो पुलिस
कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ पत्रकार बैजनाथ मिश्र ने कहा कि पुलिस को राजनीतिक एजेंडे पर या राजनीतिक एजेंट की तरह काम नहीं करना चाहिए. राजनीतिक वजहों के कारण पुलिस की छवि खराब हुई है. उन्होंने कहा कि पुलिस में सुधार के लिए प्रकाश सिंह के सुधारों की चर्चा होती है, लेकिन झारखंड में ही उन सुधारों का पालन नहीं हुआ. वरिष्ठ पत्रकार संजय मिश्र ने अपने संबोधन में कहा कि पुलिस व्यवस्था में 75 सालों में कोई खास सुधार नहीं हुआ. पुलिस के जवान आज भी उन्हीं हालातों में बैरकों में रहते हैं, जैसे आजादी के पहले रहते थे. पुलिसिंग का कॉर्पोरेटाइजेशन हुआ है, लेकिन यह सही नहीं लगता. हायर एजुकेशन के बाद लोग इस पेशे में आ रहे हैं, लेकिन पुलिस को संवेदनशील होने की जरूरत भर है. पुलिसिंग में नीचे के स्तर पर व्यवस्था सुधरनी चाहिए.