रांची: झारखंड में कुपोषण पर प्रहार करने के लिए सरकार ने नई पहल की है. इसके तहत कुपोषण भगाने के लिए प्रदेश में दीदी बाड़ी योजना शुरू की गई है. मनरेगा के पूरक के रूप में शुरू की गई इस योजना से कोरोना काल में लोगों को रोजगार मिलने के साथ ही कुपोषण से निपटने में मदद मिलने की भी उम्मीद है. इस योजना का लाभ लेने के लिए लोगों को अपने घर के पास की परती जमीन पर खुद के लिए किचन गार्डन के रूप में केला, नींबू और पपीता के पौधे लगाने होंगे. इसको लगाने की मजदूरी और पौधे पर आने वाला खर्च भी सरकार वहन करेगी.
यह है दीदी बाड़ी योजना
झारखंड में 5 वर्ष से कम आयु के 45.3% बच्चे और 65.2% महिलाएं कुपोषित हैं. इनका पोषण सरकार के लिए बड़ी चुनौती है. इसके लिए अभी और बाद में इन्हें पोषण उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने यह योजना बनाई है. फिलहाल मनरेगा और जेएसएलपीएस के माध्यम से 22 अक्टूबर तक 5 लाख परिवारों की पोषण संबंधित जरूरत पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इसके तहत संबंधित परिवार एक डिसमिल से 5 डिसमिल तक घर के आसपास की परती जमीन पर केला, पपीता और नींबू जैसे पौधे लगा सकेगा.
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जिनके पास जमीन नहीं सार्वजनिक जमीन पर खेती की अनुमति देने की योजना
साथ ही पोषक तत्वों से भरपूर सब्जियां लगाएंगे. इसका खर्च जेएसएलपीसी वाहन करेगा. दूसरी तरफ खेत तैयार करने में संबंधित परिवार को मनरेगा से जोड़कर मेहनताना भी दिया जाएगा. जिस परिवार के पास जमीन नहीं होगी, उन्हें 5 लोगों का समूह बनाकर सार्वजनिक जमीन पर खेती की अनुमति ग्राम सभा से दी जाएगी.
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