रांची: आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां तैयारी में जुट गयी हैं. राजनीतिक दलों के साथ-साथ आम लोग भी अपने क्षेत्र की समस्याओं के हिसाब से वोट देने की योजना बनाने में अभी से ही जुट गए हैं. रांची के धुर्वा इलाके में रहने वाले लोग भी इसी तैयारी में हैं. हालांकि इनके मुद्दे अलग हैं. इन लोगों का कहना है कि जो भी जनप्रतिनिधि उनकी इन समस्याओं का निदान कराएगा, वे उसे ही वोट डालेंगे. ये मुद्दा है रांची के धुर्वा इलाके में एचईसी और इसके आसपास स्थित फैक्ट्रियों के जीर्णोद्धार का.
दरअसल, रांची का धुर्वा इलाका एक औद्योगिक शहर के रूप में देखा जाता है. यहां कई छोटे-बड़े उद्योग संचालित होते हैं. सबसे बड़ी एचईसी फैक्ट्री एक औद्योगिक केंद्र है, जिसमें लगभग 22 हजार कर्मचारी काम करते थे. मौजूदा समय की बात करें तो करीब सात हजार कर्मचारी अभी भी एचईसी फैक्ट्री से जुड़े हुए हैं. एचईसी के अलावा रक्षा मंत्रालय विभाग की एक फैक्ट्री मरीन डीजल भी इस क्षेत्र में संचालित होती है.
लोग लगा रहे मदद की गुहार:इन फैक्ट्रियों में काम करने वाले ज्यादातर लोग धुर्वा, बिरसा चौक, तुपुदाना, हटिया में रहते हैं, जिनकी आबादी करीब एक लाख से दो लाख है. इस क्षेत्र की फैक्ट्रियों में काम करने वाले हजारों लोग औद्योगिक संगठन पर निर्भर हैं. उनकी आजीविका इस क्षेत्र में स्थापित उद्योगों पर निर्भर है. लेकिन एचईसी समेत अन्य लघु कुटीर उद्योगों की खराब हालत के कारण इन इलाकों में रहने वाले लोग सरकार से मदद की गुहार लगाते नजर आ रहे हैं.
क्या कहते हैं लोग:एचईसी और धुर्वा इलाके में रहने वाले स्थानीय महेंद्र कहते हैं कि हर साल चुनाव के समय उम्मीदवार वादे करते हैं और फिर भूल जाते हैं. लेकिन इस बार एचईसी और धुर्वा इलाके में रहने वाले लोग उसी उम्मीदवार को वोट देंगे जो इस इलाके की फैक्ट्रियों का जीर्णोद्धार करेगा.