रांची: देव प्रबोधनी एकादशी यानी देवोत्थान एकादशी से एक बार फिर शहनाई बजने लगेगी. करीब 117 दिन की योगनिद्रा पर गए भगवान विष्णु 4 नवंबर को देव प्रबोधिनी एकादशी पर जागेंगे. इस दिन से सभी मांगलिक आयोजनों की शुरुआत हो जाएगी. चातुर्मास में मांगलिक आयोजनों पर विराम लग गया था, जिस वजह से विवाह, उपनयन संस्कार, गृह प्रवेश सहित विभिन्न मांगलिक कार्य बंद था.
देव प्रबोधनी एकादशी पर योगनिद्रा से जागेंगे भगवान विष्णु, शुरू होंगे सभी मांगलिक कार्य
करीब 117 दिन की योगनिद्रा पर गए भगवान विष्णु 4 नवंबर को देव प्रबोधिनी एकादशी पर जागेंगे. हर बार की तरह इस बार भी एकादशी से सभी मांगलिक आयोजनों की शुरुआत हो जाएगी.
तपोवन मंदिर के मुख्य पुजारी ओम प्रकाश शरण कहते हैं कि भगवान योगनिद्रा पर 10 जुलाई को गए थे, जबकि वैवाहिक आयोजन पर विराम 9 जुलाई से लग गया था. देव प्रबोधनी एकादशी से भगवान योगनिद्रा से जागेंगे, तत्पश्चात सभी मांगलिक कार्य शुरू होंगे. इधर, देव प्रबोधनी एकादशी को लेकर स्थानीय जगन्नाथपुर मंदिर में तैयारी शुरू कर दी गई है. यहां 4 नवंबर को संध्याकाल भव्य रुप से पूजन किया जायेगा. इसी तरह विद्यापति स्मारक समिति कचहरी चौक में पं निर्भय कांत झा के नेतृत्व में देवोत्थान एकादशी मनाई जायेगी जिसके लिए तैयारी प्रारंभ कर दी गई है.
इस बार खास होगा देव प्रबोधनी एकादशी:इस बार 4 नवंबर को देव प्रबोधिनी एकादशी है. शुक्रवार होने के कारण यह दिन माता लक्ष्मी के लिए प्रिय दिन है. जिस वजह से इस बार देव प्रबोधिनी एकादशी को खास माना जा रहा है. जब भगवान विष्णु निद्रा से जागेंगे तो उस दिन माता लक्ष्मी का प्रिय दिन शुक्रवार रहेगा. एकादशी व्रत का फल 100 राजसूय यज्ञ तथा एक सहस्त्र अश्वमेध यज्ञ के फल के बराबर माना जाता है. जिस वजह से सनातन धर्मी बड़े ही उत्साह के साथ इस मौके पर व्रत करते हैं. पंडित आनंद कुमार झा का मानना है कि 4 नवंबर को भगवान विष्णु 4 माह की योगनिद्रा से जागेंगे और 5 नवंबर को तुलसी विवाह संपन्न होगा. मिथिला पंचांग के अनुसार इस वर्ष नवंबर में 7 और दिसंबर में 6 विवाह के दिन हैं.
मिथिला पंचांग के अनुसार 2022 में मांगलिक तिथि
- विवाह दिन- नवंबर -20, 21, 24, 25, 27, 28 और 30. दिसंबर- 04, 05, 07, 08, 09 और 14.
- मुंडन-नवंबर 25, 28 और 30 दिसंबर 05 और 09.
- गृहारंभ-दिसंबर-03, 05, 07, 08, 09, 10 और 12.
- गृह प्रवेश- नवंबर 28 और 30. दिसंबर 03 और 05.