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शहर में विकास कार्य की रफ्तार धीमी, सरकार-जनप्रतिनिधियों में तालमेल का अभाव

रांची नगर निगम के विभागों में आपसी समन्वय स्थापित है, फिर भी कार्य बाधित हो रहे हैं. कोरोना संक्रमण काल के दौरान पिछले 11 महीनों में रांची नगर निगम में मात्र दो बार ही बोर्ड की बैठक हुई है, जिसकी वजह से स्थानीय प्रतिनिधियों को सबसे अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. प्रतिनिधियों को जनमुद्दों को उठाने का मौका नहीं मिल रहा है और ना ही जनता की समस्याओं का समाधान हो रहा है.

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विकास कार्य की रफ्तार धीमी

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Published : Jan 10, 2021, 10:47 PM IST

रांची: शहर में साफ-सफाई, टैक्स कलेक्शन, सरकार की योजनाओं के तहत कार्यों को करने के लिए नगर निगम के विभागों के बीच आपसी तालमेल सबसे अहम है. अगर समन्वय स्थापित कर कार्य किए जाएं, तो शहर के विकास में तेजी लाई जा सकती है. वर्तमान समय में रांची नगर निगम के विभागों में आपसी समन्वय स्थापित है, लेकिन फिर भी कार्य बाधित हो रहे हैं, चाहे वह टैक्स कलेक्शन हो या फिर जनता के हित मे जनप्रतिनिधियों के उठाए जा रहे मामले हो. समस्याओं का समय पर निदान नहीं हो पा रहा है.

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कोरोना संक्रमण काल के दौरान पिछले 11 महीनों में रांची नगर निगम में मात्र दो बार ही बोर्ड की बैठक हुई है, जिसकी वजह से स्थानीय प्रतिनिधियों को सबसे ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. प्रतिनिधियों को जनहित के मुद्दों को उठाने का मौका नहीं मिल रहा है और जनता की समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है. खासकर रांची नगर निगम की ओर से शहर में राजस्व के लिए टैक्स कलेक्शन, इंजीनियरिंग शाखा के ओर से निर्माण कार्य, टाउन प्लानिंग सेक्शन के ओर से नक्शा का निष्पादन, स्वच्छता के लिए बड़े पैमाने पर कार्य बाधित हो रहे हैं. वार्ड 26 के पार्षद अरुण झा का कहना है कि रांची नगर निगम के विभागों में समन्वय की कमी है, जिसकी वजह से जनता की समस्याओं को निदान नहीं हो पा रहा है. हालांकि स्थानीय लोगों का मानना है कि रांची नगर निगम की ओर से साफ-सफाई समेत अन्य कार्यों को धरातल पर लाया जा रहा है, लेकिन कहीं ना कहीं सरकार और नगर निगम के जनप्रतिनिधियों के बीच समन्वय स्थापित नहीं हो पा रही है.

राज्य सरकार ने छीना नगर निगम के अधिकारी
शहर की मेयर आशा लाकड़ा का कहना है कि रांची नगर निगम में आपसी समन्वय स्थापित है, इसको लेकर लगातार बैठकें की जाती है और समन्वय के साथ तेजी से सभी कार्यों का निष्पादन किया जा रहा है. हालांकि उन्होंने कहा कि टैक्स कलेक्शन को लेकर राज्य सरकार की ओर से नगर निगम के अधिकारों को छीन लिया गया है, जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील भी की है, इसकी वजह से रांची नगर निगम को राजस्व का नुकसान भी उठाना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि रांची नगर निगम में समन्वय स्थापित है, लेकिन सरकार के ओर से चयनित एजेंसी के ओर से काम किया जा रहा है या नहीं, यह उस एजेंसी पर निर्भर करता है.


नगर निगम के अधिकारों को किया गया दरकिनार
वहीं शहर के डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय का मानना है कि सरकार की ओर से नगर निगम के अधिकारों को दरकिनार किया जा रहा है, पिछले 5 सालों में एक से डेढ़ हजार करोड़ की राशि से शहर में विकास कार्य किए गए हैं, जिसके तहत सड़क निर्माण, नाली निर्माण समेत सुंदरीकरण का कार्य किया गया, लेकिन जब से नई सरकार आई है, तब से नगर निगम को फाइनेंसियल कोई भी सपोर्ट नहीं किया जा रहा है, जिसके वजह से पुरानी योजनाएं लंबित हैं और नई योजनाएं नहीं बन पा रही है.


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जनता को हो रहा नुकसान
वर्तमान समय में राज्य में गठबंधन की सरकार है, जबकि नगर निगम में चुने हुए जनप्रतिनिधि मेयर और डिप्टी मेयर बीजेपी के हैं. सरकार के विभागीय पदाधिकारियों के बीच तालमेल जरूर है, लेकिन नगर निगम के जनप्रतिनिधियों के बीच समन्वय स्थापित नहीं होने की वजह से कहीं ना कहीं जनता को ही नुकसान उठाना पड़ रहा है.



रांची नगर निगम और नगर विकास विभाग के बीच खींचतान
कोरोना संक्रमण काल में रांची नगर निगम की मेयर और नगर विकास विभाग के बीच लगातार खींचातानी चलती रही है. खासकर होल्डिंग टैक्स, वाटर टैक्स और म्युनिसिपल ट्रेड लाइसेंस को लेकर राजस्व संग्रह में बड़ा नुकसान उठाने का दावा मेयर की ओर से किया गया है. मेयर जहां टैक्स कलेक्शन के लिए पहले की एजेंसी के कार्य विस्तार को लेकर अड़ी रही, तो वहीं नगर विकास विभाग के ओर से नई एजेंसी का चयन किया गया. ऐसे में मेयर के अनुसार जून 2020 से अगस्त 2020 तक टैक्स कलेक्शन में प्रतिदिन 31 लाख रुपयों का नुकसान हुआ है, जिसके लिए उन्होंने नगर विकास विभाग के सचिव को जिम्मेवार ठहराया है, जबकि टैक्स कलेक्शन के मामले में नगर विकास विभाग की ओर से श्री पब्लिकेशन नाम के एजेंसी का चयन किया गया है और दावा किया गया है कि राजस्व वृद्धि में नए एजेंसियों का अहम योगदान होगा.

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