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Published : May 9, 2021, 10:16 AM IST

Updated : May 9, 2021, 11:28 AM IST

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कोरोना पॉजिटिव होने के बावजूद बाहर निकलना मजबूरी है, क्योंकि अपना और अपनों की जान बचाना जरूरी है

रांची में इन दिनों कोरोना के बढ़ते कहर ने लोगों को बेबस कर दिया है. लोग बेहतर स्वास्थ्य लाभ पाने के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं. खुद कोरोना संक्रमित होते हुए भी परिजनों के इलाज के लिए घर से निकलना पड़ रहा है. वहीं अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन का जबरदस्त अभाव देखने को मिल रहा है.

despite being corona positive people are treating their families in ranchi
कोरोना पॉजिटिव होने के बावजूद बाहर निकलना मजबूरी है, क्योंकि अपना और अपनों की जान बचाना जरूरी है

रांची:सूबे के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में लोग अपनों के इलाज के लिए भटकने को मजबूर हैं. शुक्रवार को अपनी बहन का इलाज कराने पहुंची एक महिला ने खुलासा किया कि वो खुद पॉजिटिव हैं, लेकिन बहन के बेहतर इलाज के लिए अस्पताल के चक्कर काट रही है. बेबसी ऐसी है कि अस्पताल में बिना दौड़ भाग किए काम नहीं हो रहा है. उन्होंने बताया कि कोरोना की वजह से उनकी मदद के लिए भी कोई आगे नहीं आ रहा है.

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बहन का इलाज कराने पहुंची महिला ने बताया कि वो कुछ दिनों से कोविड पॉजिटिव हैं और वो अपना इलाज करा रही है. अभी तक उसकी रिपोर्ट नेगेटिव नहीं आई है. रिम्स में बेड़ो से आए एक लाचार पिता ने भी अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि उनके बेटे का ऑक्सीजन लेवल लगातार घट रहा है और उन्हें बेड मुहैया नहीं हो रहा है. ऐसे में वो अस्पताल में मदद के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं. उन्होंने ईटीवी संवाददाता हितेश कुमार चौधरी से बात करते हुए कहा कि निजी अस्पतालों में गरीब लोगों को तो बेड नसीब नहीं हो पाता है लेकिन सरकारी अस्पतालों में भी बेड नहीं मिल रहा है. उनके बेटे को तुरंत ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड की जरूरत है.

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बताते चलें कि रिम्स के पार्किंग में 300 बेड का उद्घाटन खुद मुख्यमंत्री की ओर से किया गया, लेकिन वहां पर अभी तक मरीजों की भर्ती सुचारू रूप से शुरू नहीं हुई है. वजह, स्टाफ और स्वास्थ्य कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं होना. दोनों पीड़ितों की बेबसी रुला देने वाली है. इस महामारी में राज्य सरकार के साथ-साथ आम लोगों को भी समाज के लोगों की मदद के लिए आगे आने की जरूरत है, ताकि संक्रमण पर विजय पाया जा सके.

Last Updated : May 9, 2021, 11:28 AM IST

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