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झारखंड में कपड़ा व्यवसायी चाहते हैं बिक्री की छूट, 800 करोड़ से ज्यादा का हो चुका है नुकसान

लॉकडाउन का चौथा चरण शुरू हो गया है. झारखंड सरकार ने भी गाइडलाइन जारी करते हुए कुछ व्यवसाय का शुरू करने में छूट दी है, लेकिन कपड़ा व्यवसायियों को लॉकडाउन के दौरान कोई छूट नहीं दी गई है, जिससे उनमें मायूसी है. ईटीवी भारत के वरिष्ठ सहयोगी से बात करते हुए उन्होंने कहा है कि सरकार को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन सुनिश्चित कराते हुए व्यवसाय में रियायत देनी चाहिए.

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Published : May 19, 2020, 7:14 PM IST

Updated : May 19, 2020, 8:34 PM IST

Despair among textile traders in Ranchi
कपड़ा व्यवसायियों में नाराजगी

रांची: लॉकडाउन 4 जब 18 मई से शुरू हुआ तो झारखंड के कपड़ा व्यवसायियों को उम्मीद थी कि उन्हें भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन सुनिश्चित कराते हुए रियायत मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इस वजह से झारखंड के कपड़ा व्यवसायी बेहद मायूस हैं. झारखंड थोक वस्त्र विक्रेता संघ के अध्यक्ष अनिल जालान ने लॉकडाउन की वजह से कपड़ा व्यवसाय को हो रही क्षति ईटीवी भारत की टीम से साझा की.

देखें EXCLUSIVE रिपोर्ट

अनिल जालान ने ईटीवी भारत से कहा कि झारखंड में प्रतिमाह लगभग कपड़े का 400 करोड़ का कारोबार होता है, जो पिछले 22 मार्च से ठप पड़ा हुआ है, अब तक लगभग 800 करोड़ का नुकसान हो चुका है. उन्होंने कहा कि कृषि सेक्टर के बाद झारखंड में कपड़ा व्यवसाय ही ऐसा है, जिससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सबसे ज्यादा लोगों की रोजी-रोटी जुड़ी हुई है, लेकिन कई क्षेत्रों में रियायत देने के बाद भी सरकार ने इस क्षेत्र के साथ सहानुभूति नहीं दिखाई.

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थोक वस्त्र विक्रेता संघ के अन्य पदाधिकारियों ने भी ईटीवी भारत के सामने अपनी-अपनी बातें रखें. किसी ने कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए इस व्यवसाय को सुचारू रूप से चलाया जा सकता है. किसी ने कहा की इंसान की जरूरत 3 शब्दों पर टिकी होती हैं - रोटी, कपड़ा और मकान, रोटी और मकान तो खुल गए, लेकिन कपड़े को अब तक बंद रखा गया है. व्यवसायी ने बताया कि ईद के त्यौहार को देखते हुए लॉकडाउन शुरू होने से पहले ही कपड़े का स्टॉक तैयार कर लिया गया था, शादी-ब्याह के सीजन के मद्देनजर भी कपड़े का स्टॉक तैयार किया गया था, लेकिन अब गोडाउन में ही पूरा माल रखा-रखा खराब हो रहा है.

मुख्यमंत्री से रियायत की अपील
झारखंड थोक वस्त्र विक्रेता संघ के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि इस कारोबार से झारखंड में लाखों लोगों का परिवार चलता है. प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से छोटे-छोटे वाहन और मोटिया मजदूर भी इस व्यवसाय से जुड़े होते हैं, लिहाजा कुछ शर्तों के साथ इस व्यवसाय को भी खोलने की छूट मिलनी चाहिए. सभी ने अपील की कि अगर इस व्यवसाय को नजर अंदाज किया जाएगा तो न सिर्फ राज्य के आर्थिक पहिए को गति देने में दिक्कत होगी, बल्कि बड़ी संख्या में लोगों के सामने रोजी-रोटी की समस्या भी उत्पन्न हो जाएगी. उन्होंने यह भी कहा गया कि लॉकडाउन 4 के दौरान देश की सबसे बड़ी कपड़ा मंडी कहे जाने वाले सूरत में भी कारोबार शुरू हो चुका है, यही नहीं झारखंड के पड़ोसी राज्यों में शुमार पश्चिम बंगाल, बिहार और उड़ीसा में भी इस व्यवसाय को कुछ शर्तों के साथ छूट मिली है, लिहाजा खुद मुख्यमंत्री को इस दिशा में पहल करनी चाहिए.

Last Updated : May 19, 2020, 8:34 PM IST

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