रांचीः साल 2020 में कोरोना ने जब दस्तक दी तो गांवों में लाचार बैठे श्रमिकों का सहारा बनी मनरेगा की योजनाएं. इस दौरान झारखंड के ग्रामीण विकास विभाग ने मनरेगा की योजनाओं का भरपूर इस्तेमाल किया. नतीजतन, रिकॉर्ड मानव दिवस का सृजन हुआ. अब ग्रामीण विकास विभाग वैसे मनरेगा मजदूरों का लिस्ट तैयार करवा रहा है, जिसमें किसी भी वित्तीय वर्ष में कम-से-कम 15 दिनों तक मनरेगा मजदूरी की हो या अधिकतम 65 वर्ष की आयु में उसकी उसी वित्तीय वर्ष और अगले वित्तीय वर्ष में मृत्यु या दुर्घटना में अंग भंग हो गया हो. इन पीड़ित परिवारों को अनुग्रह अनुदान के तहत अधिकतम 75,000 की राशि दी जा सके. इस मद में वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 10 करोड़ रुपए का बजटीय प्रावधान किया गया है.
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विभागीय सचिव का कहना है कि मनरेगा योजना के तहत कार्य करने वाले श्रमिक राज्य के निर्धनतम परिवार के लोग होते हैं. ऐसे किसी श्रमिक की प्राकृतिक या अप्राकृतिक कारणों से मृत्यु होने पर परिवार की आर्थिक स्थिति दयनीय हो जाती है. खास बात है कि वैसे परिवारों को केंद्र सरकार की ओर से किसी प्रकार का अनुग्रह अनुदान का लाभ नहीं दिया जाता है. इस स्थिति में निर्णय लिया गया है कि वैसे परिवारों को जल्द चिन्हित कर अनुग्रह अनुदान की राशि पहुंचाई जाए.
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