रांची:सांसद निशिकांत दुबे की शिकायत पर देवघर एसपी पीयूष पांडेय को आठ सितंबर को संसद की विशेषाधिकार समिति के सामने उपस्थित होना था, लेकिन विशेषाधिकार समिति के सामने उपस्थिति की नोटिस मिलने के मामले में झारखंड के डीजीपी एमवी राव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस नागेश्वर राव और जस्टिस हेमंत गुप्ता की अदालत में इस मामले में सुनवाई हुई, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने देवघर एसपी को तत्काल विशेषाधिकार समिति के सामने हाजिर होने से राहत दी है.
क्या है मामला
झारखंड के गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने संसद की विशेषाधिकार समिति के सामने शिकायत की थी कि झारखंड सरकार के कुछ अधिकारी सरकारी मिशनरी का इस्तेमाल कर उन्हें और उनके परिवार को फर्जी केस में फंसा रहे हैं. इस मामले में लोकसभा सचिवालय के एडिशनल डायरेक्टर सूर्यरंजन मिश्रा ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर देवघर एसपी पीयूष पांडेय को आठ सितंबर को हाजिर होने का निर्देश दिया था.
लोकसभा की विशेषाधिकार समिति के खिलाफ डीजीपी एमवी राव गए सुप्रीम कोर्ट, देवघर एसपी की पेशी पर रोक
लोकसभा की विशेषाधिकार समिति के खिलाफ डीजीपी एमवी राव सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए. विशेषाधिकार समिति ने 8 सितंबर को देवघर एसपी को हाजिर होने का आदेश दिया था. डीजीपी की याचिका के बाद कोर्ट ने तत्काल पेशी पर रोक लगाई है. हालांकि याचिका में एमवी राव ने अपने डीजीपी या प्रभारी डीजीपी होने की जानकारी नहीं दी है. उन्होंने अपना पता झारखंड पुलिस पुलिस मुख्यालय बताया है. सोमवार को याचिका की सुनवाई जस्टिस नागेश्वर राव और जस्टिस हेमंत गुप्ता की डबल बेंच में हुई.
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विशेषाधिकार समिति को पार्टी बनाया
राज्य सरकार के प्रभारी डीजीपी एमवी राव ने इस मामले में लोकसभा सचिवालय के विशेषाधिकार समिति को पार्टी बनाया है. एमवी राव ने पीटिशन में अपना पता झारखंड पुलिस हेडक्वार्टर बताया है, लेकिन अपने पद का जिक्र पीटिशन में नहीं किया है. पीटिशन चार सितंबर को ही फाइल की गई थी. पांच सितंबर को इसे सत्यापित किए जाने के बाद सोमवार को लिस्टिंग में लाया गया था.