रांचीः जामताड़ा के साइबर अपराधियों के कारण झारखंड को देशभर में फजीहत उठानी पड़ी है. जामताड़ा से अधिक अब देवघर जिला से राज्य के बाहर के लोगों से साइबर अपराध को अंजाम दिया जा रहा है. देवघर साइबर अपराधियों के नया गढ़ के तौर पर उभरा है. साल 2020 में कुल 1020 साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी झारखंड से हुई थी. 1020 में से 600 अब साइबर अपराधी केवल देवघर से गिरफ्तार हुए थे.
देवघर बना जामताड़ा पार्ट-2
भगवान शिव की नगरी बाबा धाम यानी देवघर इन दिनों साइबर अपराधियों को लेकर चर्चा में है. देवघर में बैठे-बैठे साइबर अपराधी देश के कोने-कोने में लोगों से ठगी को अंजाम दे रहे हैं. झारखंड के जामताड़ा जिला से शुरू हुआ साइबर अपराधियों का जाल अब देवघर को अपने चपेट में ले चुका है. राज्य पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक, 10 जनवरी 2021 तक अलग अलग राज्यों की पुलिस ने झारखंड से साइबर अपराध के 1260 मामलों के अनुसंधान में मदद मांगी. इसमें से झारखंड पुलिस ने 890 मामलों की जांच पूरी कर बाहरी राज्यों को पुलिस को भेज दी है, वहीं 305 मामलों में अनुसंधान अब भी जारी है. राज्य के देवघर जिला से सर्वाधिक ठगी के 333 मामले सामने आए, जामताड़ा से 218, गिरिडीह से 156, धनबाद से 121 मामले सामने आए हैं. बाहरी राज्यों से एसपी साइबर क्राइम को 157, एसपी हजारीबाग को 16, एसएसपी रांची को 27, एसपी गढ़वा को दो, पलामू से तीन, लातेहार से चार, कोडरमा से तीन, रामगढ़ से आठ, बोकारो से 27, खूंटी और पश्चिमी सिंहभूम से 11-11, जमशेदपुर से 19 मामलों में बाहरी राज्यों की पुलिस ने मदद मांगी. राज्य पुलिस के आंकड़ों की मानें तो साइबर अपराधियों की सक्रियता देवघर, जामताड़ा, गिरिडीह और धनबाद जिला में सर्वाधिक रही.
जेल बना ट्रेनिंग सेंटर
झारखंड पुलिस की जांच में एक बड़ा खुलासा हुआ है, जांच में यह बात सामने आई है कि झारखंड के साइबर अपराधी गिरफ्तार होकर जब जेल जाते हैं तो वो जेल में भी अपना ट्रेनिंग कैंप खोल देते हैं. भोले-भाले वैसे युवा जो छोटे-छोटे मामलों में जेल जाते हैं उन्हें यह साइबर अपराधी अपने झांसे में लेकर साइबर ठगी का गुर सिखाते हैं. साइबर अपराधी उन्हें यह भरोसा दिलाते हैं कि हत्या चोरी लूट जैसे वारदातों में तुरंत पकड़े जाने का डर है लेकिन साइबर अपराध करने पर पकड़ा ना बेहद मुश्किल है, इसलिए वो साइबर अपराधी बने इसमें कमाई भी बेहतर है.
जामताड़ा से ही परेशान है देश के सभी राज्य
देश का शायद ही कोई ऐसा राज्य हो जहां से साइबर ठगी के लिए जामताड़ा के साइबर अपरधियों ने ठगी के लिए फोन नहीं किया हो. देश के 22 राज्यों की पुलिस जामताड़ा पहुंचकर साइबर अपराधियों की तलाश कर चुकी है. अब देवघर का हाल कुछ जामताड़ा जैसा ही है, इसके अलावा धनबाद, गिरिडीह जैसे शहरों में भी साइबर अपराधियों ने ठिकाना बना लिया है.
पश्चिम बंगाल से मिलता है साइबर अपराधियों को सिम कार्ड
पिछले आठ साल से साइबर क्राइम के मामले में देश भर में झारखंड अव्वल राज बना हुआ है. एक तरफ जहां झारखंड का जामताड़ा जिला साइबर अपराधियों की वजह से पूरे देश में चर्चित है. वहीं अब साइबर अपराधी देवघर में भी अपना पांव पसार चुके हैं. जामताड़ा में पुलिस की दबिश के बाद साइबर अपराध में देवघर को अपना ठिकाना बनाया. वहीं पश्चिम बंगाल और बिहार के कुछ इलाकों में भी जामताड़ा के साइबर अपराधियों ने अपना नया ठिकाना बनाया है. पश्चिम बंगाल साइबर अपराधियों के लिए सबसे सुरक्षित जगह माना जाता है. पश्चिम बंगाल से ही सबसे ज्यादा मोबाइल सिम कार्ड साइबर अपराधियों तक पहुंचाए जाते हैं. झारखंड पुलिस के अधिकारियों के अनुसार फर्जी सिम का रैकेट सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल में सक्रिय है जो जामताड़ा पश्चिम बंगाल से नजदीक है. इसलिए यह नेटवर्क जामताड़ा सहित दूसरे साइबर अपराधियों के ठिकाने पर सिम कार्ड की डिलीवरी देते हैं.