रांचीः पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद आंतरिक विवादों से जूझ रही झारखंड कांग्रेस में एक बार फिर प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर को हटाने की मांग तेज हो गई है. हालांकि यह मांग वैसे लोग कर रहे हैं जो अनुशासनहीनता के कारण पार्टी द्वारा निलंबित हैं.
दरअसल यह मांग तब उठने लगी है जब राजस्थान, छत्तीसगढ़ जैसे राज्य कांग्रेस के हाथ से निकल जाने के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने पार्टी के अंदर कार्यकर्ताओं को सम्मान देने संबंधी बयान दिया था. इसके अलावा मंत्रियों के व्यवहार कुशलता पर भी लगातार उठ रहे सवाल पर उन्होंने नाराजगी जताई थी. कांग्रेस के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता आलोक दूबे, किशोर नाथ शाहदेव और डॉ. राजेश गुप्ता ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के कार्यशैली पर सवाल खड़ा किया. उन्होंने कहा है कि अगर यही हाल रहा तो 2024 का लोकसभा चुनाव में ना केवल पार्टी का खराब प्रदर्शन होगा बल्कि गठबंधन के सहयोगी दलों से भी अच्छे संबंध नहीं रहेंगे. आलोक दूबे ने कहा कि जल्द ही झारखंड की मौजूदा स्थिति से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को अवगत कराने यहां से बड़ी संख्या में कांग्रेसी दिल्ली जाएंगे.
झारखंड कांग्रेस में एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत की उड़ी हवाः झारखंड कांग्रेस में एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत की हवा उड़ चुकी है, लंबे समय से कई ऐसे व्यक्ति हैं जो संगठन के अंदर और बाहर कई पदों पर जमे हुए हैं. प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर की टीम में शामिल ऐसे लोगों की चांदी है. खास बात यह है कि प्रदेश कांग्रेस में बनी अनुशासन समिति में शामिल लोग एक साथ कई पदों पर विराजमान है. पार्टी की सर्वोच्च बॉडी एआईसीसी सदस्य से लेकर प्रदेश कमिटी और सरकार के द्वारा बनाई गई बोर्ड-निगम की कुर्सी की एक साथ शोभा बढ़ा रहे हैं. ऐसे व्यक्तियों को लेकर पार्टी के अंदर और बाहर सवाल उठते रहे हैं. इसके बावजूद मजबूत पकड़ की वजह से ये अभी तक एक साथ कई पद को पकड़कर रखने में सफल हैं. प्रदेश कांग्रेस के महासचिव और प्रवक्ता राकेश सिन्हा कहते हैं कि संगठन और बाहर दो अलग-अलग चीज हैं अगर उन्हें जिम्मेदारी दी गई है तो वह कांग्रेस के अनुशासित सिपाही हैं. सवाल वह लोग उठा रहे हैं जिन्हें पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में निलंबित कर रखा है.