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सरना धर्मकोड के बाद आदिवासी राष्ट्र की उठी मांग, राष्ट्रपति और पीएम मोदी का कट आउट लगाकर हुई जनसभा - etv news

झारखंड में आदिवासियों के लिए सरना धर्मकोड की मांग को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. सरना धर्मकोड के बाद अब आदिवासी राष्ट्र की मांग उठी है. आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने ये मांग की है. Tribal nation demand in Jharkhand

Tribal nation demand in Jharkhand
Tribal nation demand in Jharkhand

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 8, 2023, 7:26 PM IST

सरना धर्मकोड के बाद आदिवासी राष्ट्र की उठी मांग

रांची:आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने आदिवासी राष्ट्र की मांग कर नया विवाद खड़ा कर दिया है. सरना धर्मकोड की मांग को लेकर रांची के मोरहाबादी मैदान में आयोजित जनसभा में सालखन मुर्मू ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि हिंदू राष्ट्र की बात हो रही है, अगर आदिवासियों की बहुप्रतीक्षित मांग पूरी नहीं हुई तो हम इस देश के अंदर आदिवासी राष्ट्र की मांग करेंगे, जिसका केंद्र झारखंड होगा.

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सालखन मुर्मू ने कहा कि अगर झारखंड से आदिवासी खत्म हो गये तो पूरे देश से आदिवासी खत्म हो जायेंगे. इस देश में लगभग 15 करोड़ आदिवासी हैं जो प्रकृति पूजक हैं, वे न हिंदू हैं, न ईसाई हैं, इसलिए उनकी मांगें केंद्र सरकार को पूरी करनी चाहिए. इन आदिवासियों को न तो धर्म का अधिकार है और न ही भाषा का अधिकार, संविधान प्रदत्त अधिकारों से इन्हें वंचित रखा गया है.

राष्ट्रपति और पीएम मोदी का कट आउट लगाकर हुई जनसभा:रांची के मोरहाबादी मैदान में देश के विभिन्न राज्यों से आये आदिवासियों के इस जनसमूह के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का कटआउट चर्चा का विषय बना रहा. जब सालखन मुर्मू से इस तस्वीर के औचित्य पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अगले साल 2024 में चुनाव होने वाले हैं. हमारा नारा है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी सरना धर्मकोड दो, आदिवासियों का वोट लो. इससे उन्हें झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश समेत देश के विभिन्न राज्यों में भारी वोट मिलेंगे.

सालखन मुर्मू ने कहा कि राष्ट्रपति हमारे बीच की हैं, अगर हमारे लिए राष्ट्रपति नहीं सोचती तो वह राष्ट्रपति किस चीज की? राष्ट्रपति तो कोई भी हो सकता है, लेकिन अगर कोई आदिवासी राष्ट्रपति बना है तो आदिवासियों के लिए सोचना चाहिए. जनसभा के दौरान मंच से लेकर मोरहाबादी मैदान तक राष्ट्रपति की तस्वीर चर्चा का विषय बनी रही. आमतौर पर किसी भी संगठन के कार्यक्रम में राष्ट्रपति की तस्वीर इस तरह नहीं लगाई जाती.

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