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आदिवासियों की धार्मिक पहचान की मांग पर विवाद के संकेत, पूर्व मंत्री ने की आदिवासी धर्म कोड की वकालत - झारखंड में सरना धर्म कोड की मांग

झारखंड में आदिवासियों की सदियों पुरानी धार्मिक पहचान की मांग पर विवाद खड़ा होता दिख रहा है. यहां एक गुट सरना धर्म कोड की मांग कर रहा है तो दूसरा गुट आदिवासी धर्म कोड की.

आदिवासियों की धार्मिक पहचान की मांग पर विवाद के संकेत
Demand for religious identity of tribals in Jharkhand

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Published : Nov 1, 2020, 7:54 PM IST

रांची: आदिवासियों की सदियों पुरानी धार्मिक पहचान की मांग पर विवाद खड़ा होता दिख रहा है. इन दिनों दो अलग-अलग नामों से धार्मिक पहचान की मांग हो रही है. एक गुट सरना धर्म कोड की मांग कर रहा है तो दूसरा गुट आदिवासी धर्म कोड की. इससे इनकी धार्मिक पहचान की मांग पर असर पड़ने की आशंका है.

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जिन्होंने पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव और पूर्व मंत्री देव कुमार धान आदिवासी धर्म कोड की वकालत कर रहे हैं. इसको लेकर इन्होंने राज्य के बत्तीस जनजाति के अगुवाओं संग बैठक कर उन्होंने आगे की रणनीति बनाई. आदिवासी धर्म कोड की मांग पर सहमति बनाने को लेकर ये 8 नवंबर को राष्ट्रीय सम्मेलन करेंगे, जिसके बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को मांग पत्र सौपेंगे. पूर्व मंत्री देव कुमार धान के मुताबिक सरना एक धार्मिक स्थल है, जिसके नाम पर धार्मिक पहचान नहीं मिल सकती है. सभी समुदायों को उनके जाति के आधार पर पहचान मिली हुई है.

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पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव ने देश के सभी जनजातियों को एकमत करने पर जोर देने की बात कही है. आजाद भारत में अपने संवैधानिक अधिकार से वंचित रहे. आदिवासी समाज के लोग लगातार संघर्ष कर रहे हैं, ताकि 2021 के जनगणना प्रपत्र में इन्हें शामिल किया जाए. इससे पहले कई संगठन सरना धर्म कोड की मांग कर चुके हैं. इसको लेकर पिछले दिनों आंदोलन भी हुआ था.

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