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झारखंड के नक्सल प्रभावित जिलों में पुलिस रेंडमाइजेशन की छूट की मांग, नक्सली हमले की वजह से उठी मांग

झारखंड के 19 जिले नक्सल प्रभावित हैं और पिछले एक सप्ताह के अंदर लातेहार, पलामू और लोहरदगा में नक्सलियों के हमले हुए हैं. इसे ध्यान में रखकर नक्सल प्रभाव वाले जिलों में चुनाव ड्यूटी के लिए पुलिस रेंडमाइजेशन की छूट की मांग की गई है.

19 Naxalite affected districts of Jharkhand
पुलिस रेंडमाइजेशन की छूट की मांग

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Published : Nov 26, 2019, 9:24 AM IST

रांची: विधानसभा चुनाव के दौरान झारखंड के नक्सल प्रभावित 19 जिलों में चुनाव ड्यूटी के लिए पुलिस रेंडमाइजेशन की छूट की मांग की गई है. यानि चुनाव में पुलिसकर्मियों या अधिकारियों को इधर-उधर तैनात किए जाने के बदले उनके पोस्टिंग के जगह पर ही रखा जाएगा.

रेंडमाइजेशन की छूट
चुनाव में नक्सलियों के हमलों को देखते हुए पुलिस मुख्यालय ने यह फैसला लिया है. एडीजी अभियान सह चुनाव के नोडल पदाधिकारी मुरारीलाल मीणा ने इस संबंध में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी विनय कुमार चौबे को पत्र लिखा है. पिछले एक सप्ताह में लातेहार, पलामू और लोहरदगा में नक्सलियों के हमले हुए हैं, ऐसे में नक्सल प्रभाव वाले जिलों में रेंडमाइजेशन की छूट को जरूरी बताया गया है.

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उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में बाहर के पदाधिकारियों की तैनाती नहीं कराने की गुजारिश
एडीजी मुरारी लाल मीणा ने पत्र में लिखा है कि नक्सल प्रभावित जिलों में दूसरे जिलों से आए पुलिस पदाधिकारियों और कर्मियों की तैनाती की बजाय उसी क्षेत्र में काम कर चुके कर्मियों की प्रतिनियुक्ति सुरक्षा दृष्टिकोण से करायी जाए. पहले चरण में 85 फीसदी केंद्रीय बल और बाहर के पुलिसकर्मियों की पोस्टिंग है. ऐसे में चुनाव आयोग से रेंडमाइजेशन न करने की मांग रखी गई है. शेष पांच जिलों जैसे देवघर, गोड्डा, पाकुड़, जामताड़ा और साहिबगंज में चुनाव आयोग के निर्देश के मुताबिक, रेंडमाइजेशन सुनिश्चित करने की बात आयोग को कही गई है.

क्या है वजह
एडीजी मुरारी लाल मीणा ने लिखा है कि झारखंड के 19 जिले लातेहार, पलामू, बोकारो, चतरा, धनबाद, दुमका, जमशेदपुर, गढ़वा, गिरिडीह, गुमला, हजारीबाग, खूंटी, कोडरमा, लोहरदगा, रामगढ़, रांची, सिमडेगा, सरायकेला और पश्चिमी सिंहभूम नक्सल प्रभावित हैं. चुनाव के दौरान भाकपा माओवादियों की ओर से मतदानकर्मी, पुलिस और प्रत्याशियों को लक्ष्य कर हमला किया जा सकता है. ऐसे में मतदानकर्मियों और सुरक्षाबलों के आगमन के दौरान रास्तों से ऐसे पदाधिकारी और सुरक्षा बलों की आवश्यकता है जो स्थानीय क्षेत्र, भौगोलिक क्षेत्र और नक्सल गतिविधियों से परिचित हो.

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