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झारखंड में कोरोना की वजह से ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग बढ़ी, किल्लत से परेशान लोग

कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए ऑक्सीजन की मांग भी अत्यधिक बढ़ गई है. कोरोना के मरीज हो को ठीक करने में ऑक्सीजन को रामबाण माना जाता है. प्रदेश में ऑक्सीजन की मांग 4 गुना से 5 गुना ज्यादा बढ़ गई है. सप्लाई ना होने पर स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ आम लोगों पर भी असर पड़ रहा है.

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ऑक्सीजन सिलेंडर

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Published : Apr 16, 2021, 4:52 PM IST

Updated : Apr 17, 2021, 10:59 AM IST

रांची: देश में कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए ऑक्सीजन की मांग बढ़ गई है. कोरोना के मरीज हो को ठीक करने में ऑक्सीजन दवा का काम करता है. इसीलिए ऑक्सीजन की मांग 4 गुना से 5 गुना ज्यादा बढ़ गई है. ऑक्सीजन की मांग सिर्फ अस्पतालों और स्वास्थ्य संस्थानों में ही नहीं बल्कि आम लोग भी कर रहे हैं. लोग अपने घरों में ऑक्सीजन सिलेंडर रख रहे हैं, ताकि परिवार का कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित हो जाए तो उसे ऑक्सीजन की कमी ना हो सके.

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डॉक्टरों का कहना है कोरोना के मरीजों को ज्यादा दिक्कत सांस लेने में होती है. ऐसी स्थिति में ऑक्सीजन सिलेंडर बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. मरीज चाहे अस्पताल में हो या फिर घर पर रहकर होम आइसोलेशन में इलाज करा रहा हो, किसी भी सूरत में कोविड के मरीजों को ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ती ही है. इसीलिए वर्तमान में जिस तरह से कोविड-19 के मरीजों का आंकड़ा बढ़ रहा है, वैसे में ऑक्सीजन सिलेंडर की भी अत्यधिक मांग बढ़ गई है.

ऑक्सीजन से जुड़े व्यापारियों की भी बड़ी मुश्किलें
ऑक्सीजन सिलेंडर का कारोबार करने वाले व्यापारियों का कहना है कि कोरोना काल से पहले ज्यादातर सिलेंडर अस्पताल या स्वास्थ संस्थान ही ले जाते थे. वर्तमान समय में ज्यादातर लोग अपने घरों में भी ऑक्सीजन सिलेंडर रख रहे हैं. जिस वजह से डिमांड ज्यादा हो गई है कि सप्लाई करना मुश्किल हो रहा है. लोगों का कहना है कि पहले सिलेंडर तुरंत रिफिल किया जाता था. अब लोगों को 24 घंटे बाद ही सिलेंडर भरकर दिया जा रहा है, क्योंकि अब नए सिलेंडर नहीं मिल रहे हैं और कोरोना की वजह से सिलेडर का एक्सचेंज भी नहीं किया जा रहा है.

मांग बढ़ने से कीमत में आई उछाल
सिलेंडर की मांग बढ़ने से उस के दामों में भी बढ़ोतरी आई है. दामों की वृद्धि में तुलना करें तो 10 लीटर का सिलेंडर कोरोना काल से पूर्व 160 रुपया में भराया जाता था, वर्तमान में उसी सिलेंडर को भरने के लिए 200 से भी ज्यादा रुपए का भुगतान करना पड़ता है. 47 लीटर का सिलेंडर की बात करे तो आज की तारीख में 400 से 500 रुपया प्रति सिलेंडर देना पड़ता है. जबकि पहले ऑक्सीजन सिलेंडर भरवाने के लिए 280 रुपया देना पड़ता था.

रिम्स में बढ़ाए जाएंगे ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड
रिम्स अस्पताल में भी ऑक्सीजन की बढ़ती मांग को देखते हुए रिम्स के सूचना एवं जनसंपर्क पदाधिकारी और वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. डीके सिन्हा बताते हैं कि मरीजों को ऑक्सीजन मुहैया कराने के लिए ऑक्सीजन बेड की बढ़ोतरी की जा रही है. अगले 4 से 5 दिनों तक में रिम्स में 220 ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड हो जाएंगे. वर्तमान में 107 बेडों पर मरीजो को ऑक्सीजन मुहैया कराया जा रहा है.
इसके अलावा रिम्स के ट्रॉमा सेंटर के सभी बेडों पर ऑक्सीजन सप्लाई की व्यवस्था की जाएगी. ताकि वेंटिलेटर के माध्यम से लोगों को ऑक्सीजन की कमी ना हो सके. रिम्स के ट्रामा सेंटर के लिए रिम्स प्रबंधन की ओर से 13 हजार लीटर का ऑक्सीजन सिलेंडर भी बनाया गया है. जिससे कोरोना के मरीजों को निर्बाध ऑक्सीजन मुहैया हो पा रही है.

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मरीजों की बढ़ रही है परेशानी
रांची में ऑक्सीजन सिलेंडर में ऑक्सीजन भरवाने के लिए कई दुकानों का चक्कर काट चुके निर्मल बताते हैं कि उनकी पत्नी राज्य सरकार की वरिष्ठ कर्मचारी है. वह पिछले दिनों कोरोना पॉजिटिव भी हो गई थीं. इसके बाद डॉक्टरों ने ऑक्सीजन सिलेंडर घर में रखने की सलाह दी डॉक्टरों की सलाह पर हमने किसी तरह एक ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतजाम किया, अब उसे भरवाने के लिए भी हमें घंटों मेहनत करना पड़ रहा है.

कैसे पहुंचता है लोगों तक ऑक्सीजन सिलेंडर
फैक्ट्री में ट्रकों से भरकर ऑक्सीजन के लिक्विड फॉर्म को लाया जाता है, उसके बाद फैक्ट्री में बने वेसेल में डालकर उस लिक्विड को कंप्रेस और बूस्ट अप किया जाता है. इसके बाद वह सिलेंडर में भरा जाता है, तब जाकर ऑक्सीजन सिलेंडर मरीजों को मुहैया कराई जाती है.

ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ क्या-क्या खरीदें?
घरों में ऑक्सीजन सिलेंडर सेटअप करने के लिए लोगों को एक सिलेंडर खरीदना पड़ता है. उस सिलेंडर के साथ रेग्यूलेटर, फ्लो मीटर, मास्क और सिलेंडर चाबी की जरूरत होती है. ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ इन सभी सामानों को खरीदने के लिए ग्राहकों को दस हजार का भुगतान करना पड़ता है. वर्तमान में बढ़ रही कीमतों को देखते हुए लोगों को सिलेंडर मुहैया नहीं हो पा रहा है.

बढ़ती मांग के बीच हो रही है ब्लैक मार्केटिंग
अगर किसी को इस किल्लत के समय में ऑक्सीजन सिलेंडर मुहैया हो भी जाता है तो उसकी ब्लैक मार्केटिंग होती है. 10 हजार के सिलेंडर की कीमत 20 से 25 हजार तक लगाई जाती है. कई निजी अस्पताल अपने गोदाम में ऑक्सीजन सिलेंडर जमा रखते हैं ताकि मांग बढ़ने पर ब्लैक मार्केटिंग के तहत ज्यादा दामों में लोगों को सप्लाई किया जा सके.

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ऑक्सीजन प्लांट बनाने की जरूरत
झारखंड में ऑक्सीजन प्लांट की बात करें तो रांची समेत जमशेदपुर, बोकारो और रामगढ़ में भी प्लांट लगाए गए हैं. इसके बावजूद भी प्लांट से पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन का वितरण नहीं हो पा रहा है. हालांकि पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग की ओर से ऑक्सीजन टास्क फोर्स का भी गठन किया गया है. जो इसका ध्यान रखेंगे और जिन मरीजों को ऑक्सीजन की कमी हो रही है, उसे तुरंत से तुरंत ऑक्सीजन सुविधा दिलाई जा सके

ऑक्सीजन की सप्लाई पूरा करने के लिए स्वास्थ्य विभाग उठाए ठोस कदम
जिस तरह से व्यापारियों और मरीजों ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए परेशानी हो रही है. इससे साफ पता चलता है कि आम लोगों को तो ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता होगा. ऐसे में जरूरत है कि स्वास्थ्य विभाग अपना ध्यान आकृष्ट करें ताकि ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे लोगों को जल्द से जल्द ऑक्सीजन मुहैया हो सके.

Last Updated : Apr 17, 2021, 10:59 AM IST

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