रांचीः बिहार में जातीय गणना की रिपोर्ट जारी होने के बाद झारखंड सहित देशभर में यह मुद्दा सुर्खियों में है. राजनीतिक दलों के साथ-साथ सामाजिक क्षेत्र से जुड़े लोग अपनी-अपनी राय रख रहे हैं. इन सब के बीच झारखंड में भी जातीय गणना की मांग तेज होने लगी है. कांग्रेस के बाद सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा और राजद ने भी इस पर सहमति जताते जातीय गणना की मांग की है.
बिहार के बाद झारखंड में भी जातीय गणना की मांग हुई तेज, जानिए जातीय गणना पर झारखंड के नेताओं का मत - जातीय गणना पर मंथन कर रही है बीजेपी
बिहार सरकार ने जाति आधारित सर्वे रिपोर्ट जारी कर दी है. इसके बाद पड़ोसी राज्य झारखंड में भी विभिन्न दलों के लोग जातीय गणना की मांग कर रहे हैं. हालांकि कई दलों का रूख अभी साफ नहीं हो सका है. demand for caste census intensified in Jharkhand.
Published : Oct 3, 2023, 10:57 PM IST
मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने की झारखंड में जातीय गणना की मांगःराजद नेता और हेमंत सरकार के कैबिनेट मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने बिहार की तर्ज पर झारखंड में जातीय गणना कराने की मांग करते हुए कहा है कि इस संबंध में वो मुख्यमंत्री के समक्ष अपनी बात को रखेंगे और कैबिनेट में इस पर विचार-विमर्श किया जाएगा. उन्होंने कहा कि जातीय गणना होने से राज्य में रहने वाले लोगों को फायदा होगा और यह भी पता चलेगा कि उनकी संख्या क्या है और उस हिसाब से उन्हें सरकारी लाभ क्या मिल रहे हैं या नहीं.
झामुमो भी जातीय गणना के पक्ष मेंःइधर, झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बिहार में जातीय गणना की पहल की सराहना करते हुए कहा है कि झारखंड भी इस दिशा में कदम बढ़ा चुका था और ओबीसी आरक्षण को लेकर विधानसभा से बिल पास भी कराया गया था, लेकिन राजभवन की भूमिका निराशाजनक रही. जिस वजह से आगे सफलता नहीं मिली. झामुमो नेता विनोद पांडे ने कहा कि झारखंड में भी जातीय गणना का पक्षधर झामुमो है.
जातीय गणना पर मंथन कर रही है बीजेपीः जातीय गणना के मुद्दे पर एनडीए के घटक दल आजसू पहले ही अपना स्टैंड क्लियर कर चुका है. आजसू का मानना है कि राज्य में जातीय गणना होनी चाहिए, लेकिन बीजेपी में अभी भी इसको लेकर मंथन जारी है. हालांकि भाजपा के बड़े नेताओं के बयान इस संबंध में धर्म आधारित जरूर आए हैं. भाजपा प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा ने कहा है कि पार्टी जल्द ही इस संदर्भ में अपना स्टैंड क्लियर करेगी. बहरहाल, बिहार में जातीय गणना की रिपोर्ट सामने आने के बाद राजनीतिक बहस जारी है. हर दल अपने-अपने तरीके से नफा-नुकसान को टटोलने में जुटा है, लेकिन इसका लाभ क्या मिलेगा इसपर कोई सीधा जवाब नहीं देना चाहता है.