नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने झारखंड में कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला के मामले में ट्रायल कोर्ट की ओर से दोषी करार दिए गए तीन आरोपियों की सजा पर रोक लगा दी है. इन आरोपियों को ट्रायल कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप रे के साथ सजा सुनाई थी. जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई सुनवाई के बाद तीनों की सजा पर रोक लगाने का आदेश दिया.
समानता के आधार पर सजा पर रोक कोर्ट ने जिन तीन आरोपियों की सजा पर रोक लगाई है, उनमें महेंद्र कुमार अग्रवाल, प्रदीप कुमार बनर्जी और नित्यानंद गौतम शामिल हैं. कोर्ट ने कहा कि इस मामले के आरोपी दिलीप रे की सजा पर हाईकोर्ट 27 अक्टूबर को रोक लगा चुका है. इसलिए समानता के आधार पर इन तीनों आरोपियों की सजा पर भी रोक लगाई जाती है. बता दें कि तीनों आरोपियों ने सजा के निलंबन के लिए याचिका दायर की थी.
दिलीप रे समेत चार आरोपी और दो कंपनियां दोषी
पिछले 26 अक्टूबर को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने दिलीप रे समेत चार आरोपियों को सजा तीन-तीन साल की कैद की सजा सुनाई थी. राउज एवेन्यू कोर्ट ने दिलीप रे के अलावा कोयला मंत्रालय के तत्कालीन अधिकारियों प्रदीप कुमार बनर्जी, नित्यानंद गौतम और कैस्ट्रॉन टेक्नोलॉजीस के डायरेक्टर महेंद्र कुमार अग्रवाल को तीन-तीन साल की कैद की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने दिलीप रे पर दस लाख रुपये, प्रदीप कुमार बनर्जी और नित्यानंद गौतम पर दो-दो लाख रुपये और महेंद्र अग्रवाल पर साठ लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. कोर्ट ने दोषी कंपनी कैस्ट्रॉन टेक्नोलॉजीस पर साठ लाख रुपये और और कैस्ट्रॉन माइनिंग लिमिटेड पर दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.
दिलीप रे थे कोयला राज्यमंत्री
पिछले 6 अक्टूबर को कोर्ट ने 1999 में कोयला ब्लॉक के आवंटन घोटाला मामले में दोषी करार दिया था. यह मामला झारखंड के गिरिडीह में ब्रह्मडीहा में 105 हेक्टेयर से ज्यादा के कोयला ब्लॉक के आवंटन से जुड़ा हुआ है. ये कोयला ब्लॉक कैस्ट्रॉन टेक्नोलॉजीज लिमिटेड नामक कंपनी को आवंटित की गई थी. दिलीप रे अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कोयला राज्यमंत्री थे.