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संसाधनों की कमी और लापरवाही से रिम्स में एक वर्ष में 1150 बच्चे की मौत,  प्रबंधन ने मामले में लिया संज्ञान - रिम्स के निदेशक डॉ डीके सिंह ने बताया जल्द नर्स होंगी बहाल

रांची के रिम्स में विगत एक साल में 1150 बच्चों की मौत अस्पताल प्रशासन के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. इस आंकड़े के बाद रिम्स प्रबंधन पूरी तरह से हरकत में आ गया है. रिम्स के निदेशक ने बताया कि अस्पताल में नर्सों की संख्या जल्द ही बढ़ाई जाएगी.

संसाधनों की कमी और लापरवाही से रिम्स में एक वर्ष में 1150 बच्चे की मौत,  प्रबंधन ने मामले में लिया संज्ञान
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Published : Jan 5, 2020, 8:45 PM IST

रांचीः राजधानी के रिम्स में पिछले एक साल में 1150 बच्चों की मौत का मामला सामने आने के बाद रिम्स प्रबंधन पूरी तरह से हरकत में आ गया है. रिम्स के निदेशक डॉ डीके सिंह ने बताया कि जिस प्रकार से पिछले 1 वर्षों में 1156 बच्चे की मौत का मामला सामने आया है. इसका मुख्य वजह यह है कि रिम्स में पूरे राज्य से अति गंभीर बच्चे को रेफर किया जाता है. ऐसे में कई बच्चे को गंभीर बीमारियां भी होती है, इसीलिए रिम्स में बच्चे के डेथ रेट में वृद्धि होती है.

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जल्द ही बहाल होंगी और नर्स

डॉ डीके सिंह ने बच्चों की मौत पर कहा कि किसी भी तरह से बच्चों की मौत होना दुर्भाग्यपूर्ण है. लेकिन जिस प्रकार से गंभीर स्थिति में बच्चे को रिम्स रेफर किया जाता है ऐसी हालत में मौत स्वाभाविक होती है, लेकिन अगर रिम्स में जन्म लेने वाले बच्चों की बात की जाए तो उस हिसाब से रिम्स की स्थिति काफी बेहतर है. वहीं उन्होंने बच्चों की मौत को लेकर बताया कि झारखंड का सबसे अच्छा एसएनसीयू और एनआईसीयू रिम्स में ही है. पेडियाट्रिक विभाग की व्यवस्था के सुधार को लेकर दो नए नियोनाटोलॉजिस्ट डॉक्टर की नियुक्ति की जाएगी. वहीं उन्होंने रिम्स के शिशु विभाग की व्यवस्था को सुधार करने को लेकर कहा कि इसके लिए भरपूर प्रयास किया जा रहा है.
रिम्स के निदेशक डॉ डीके सिंह ने कहा कि रिम्स में जगह की भी कमी देखी जा रही है. जिस प्रकार से कम जगह में ज्यादा बच्चों का इलाज किया जा रहा है, ऐसे में इलाज के स्तर में कमी जरूर आती है. साथ ही उन्होंने नर्सों की कमी को भी बच्चों का बेहतर इलाज नहीं होने का मुख्य कारण बताया. निदेशक ने बच्चों की मौत को लेकर कहा कि जल्द से जल्द नर्सों की कमी को दूर करने के लिए संख्या बढ़ाने का भरपूर प्रयास किया जा रहा है क्योंकि नर्सों के बगैर बच्चों का बेहतर इलाज करना संभव नहीं है.

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