रांची:भूख से कथित मौत को लेकर झारखंड अक्सर सुर्खियों में रहता है. कई ऐसे मामले आए हैं जहां लोगों की मौत हुई और वजह बताई गई भूख. लेकिन, झारखंड में चाहे किसी भी पार्टी की सरकार हो वह मानने को तैयार नहीं होती कि भूख से किसी की जान गई है. भूख से कथित मौत का ऐसा ही एक मामला सुप्रीम कोर्ट में है और सर्वोच्च अदालत ने झारखंड और केंद्र सरकार से इसे लेकर जवाब पेश करने का आदेश दिया है.
28 सिंतबर 2017 को सिमडेगा की 11 साल की बच्ची संतोषी कुमारी की मौत हुई थी. मां ने बताया कि वह भूख से तड़प रही थी यह भी पढ़ें:आदिम जनजाति परिवार पीढ़ियों से कर रहा मधु और मोम का उत्पादन, पलाश ब्रांड उत्पादों को देगा नई पहचान
सबसे पहले यह बता दें कि 28 सितंबर 2017 को झारखंड में 11 साल की एक बच्ची संतोषी की मौत हो गई थी. मामला सिमडेगा के करिमति गांव का है. मां कोयली देवी ने आरोप लगाया था कि भूख से उसकी बेटी की जान गई है. फरवरी से राशन नहीं मिल रहा था और तब से पूरा परिवार मुश्किल से गुजर-बसर कर रहा था. राशन नहीं मिलने के पीछे वजह थी आधार कार्ड से लिंक नहीं होना. बच्ची की मौत के बाद सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल की गई. इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया है.
17 मई 2020 को लातेहार में पांच साल की एक बच्ची की भूख से कथित मौत हो गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से इन दो सवाल के जवाब मांगे हैं
- गरीब लोगों के राशन कार्ड कैसे रद्द किए गए ?
- क्यों आधार कार्ड लिंक नहीं होने के कारण राशन कार्ड रद्द किया गया ?
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. 17 मार्च को पिछले सुनवाई हुई थी और तब जज ने सरकार को 4 हफ्ते में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए थे. इस मामले की अगली सुनवाई 19 अप्रैल को होगी.
जून 2019 में रांची में 65 साल के एक बुजुर्ग महिला की भूख से कथित मौत हो गई थी. झारखंड में भूख से कथित मौत के अब तक ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं
- 9 अप्रैल 2020 को बोकारो के टीकाहरा पंचायत में एक 17 वर्षीय लड़की की कथित भूख से मौत हुई थी. हालांकि, बाद में यह बताया गया था कि कुछ दिनों से उसकी तबीयत भी खराब थी.
- 17 मई 2020 को लातेहार के हिसातू गांव जुगलाल भुइयां के घर दो दिन से खाना नहीं बना था. उसकी पांच साल की बेटी की मौत हो गई थी. जुगलाल की पत्नी ने कहा था कि घर में राशन नहीं था और बच्चे भूख से तड़प रहे थे.
- बोकारो में मार्च 2020 में शंकरडीहा गांव में 12 साल की एक बच्ची की कथित भूख से मौत हो गई थी. कुछ दिन पहले उसके भाई और पिता की भी मौत हुई थी और आरोप लगा था कि भूख से जान गई है.
- 7 जून 2019 को लातेहार जिले के महुआडांड़ प्रखंड के लूरगुमी कला गांव में 65 वर्षीय कालीचरण मुंडा की मौत हो गई. ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि गांव के डीलर ने पिछले 3 महीने से किसी भी ग्रामीण को अनाज वितरण नहीं किया है. कालीचरण के घर में 3 दिनों से चूल्हा नहीं जला था और उसकी मौत हो गई थी.
- 11 नवंबर 2018 को दुमका जिले के जामा में 45 साल के कलेश्वर सोरेन की मौत हो गई. ग्रामीणों ने बताया था कि घर में खाने-पीने का दिक्कत थी क्योंकि परिवार का राशन कार्ड रद्द कर दिया गया था. बच्चे बाहर मजदूरी करते थे और जमीन, बैल बिक चुके थे.
- 25 अक्टूबर 2018 को गुमला जिले के बसिया में 75 वर्षीय सीता देवी की मौत हो गई. घर में 4-5 दिनों तक खाना नहीं बना था. सीता को अक्टूबर महीने में राशन नहीं मिला था और उन्हें पेंशन भी नहीं मिलती थी.
- 16 सितंबर 2018 को पूर्वी सिंहभूम के धालभूमगढ़ में चमटू सबर ने दम तोड़ दिया था. बताया गया कि उन्हें अन्त्योदय कार्ड दिया जाना था लेकिन ऐसा हो न सका. मौत के पहले 4-5 दिनों तक घर में खाना नहीं था. हालांकि, रिपोर्ट में टीबी को मौत की वजह बताई गई.
- 24 जुलाई 2018 को रामगढ़ के मांडू में 39 साल के राजेंद्र बिरहोर की मौत हो गई थी. आदिम जनजाति को मिलने वाली सामाजिक सुरक्षा पेंशन और राशन कार्ड दोनों सुविधाएं इस परिवार को मुहैया नहीं कराया गया था.
- 10 जुलाई 2018 को जामताड़ा में 70 वर्षीय लालजी महतो की मौत को भी कथित तौर पर भुखमरी से जोड़ा गया क्योंकि मृत्यु के पहले तीन महीनों तक उन्हें पेंशन नहीं मिली थी.
- अप्रैल 2018 में धनबाद की सारथी महताइन की मौत की खबर मिली. परिजनों ने बताया कि उन्हें कई महीनों से राशन और पेंशन नहीं मिली थी क्योंकि वे आधार बायोमेट्रिक सत्यापन के लिए राशन दुकान और बैंक नहीं जा पाई थी.
- साल 2018 के शुरुआती महीने में ही कथित भूख से मौत की दो घटनाएं हुई. 13 जनवरी को गिरिडीह में 40 वर्षीय बुधनी सोरेन की मौत हुई और पता चला कि उन्हें न तो राशन कार्ड मिला था और न ही विधवा पेंशन ही मिलती थी. वहीं 23 जनवरी को पाकुड़ में 30 साल के लुखी मुर्मू की मौत हो गई. उसे अक्टूबर 2017 से राशन नहीं मिला था.
- 25 दिसंबर 2017 को गढ़वा में 67 वर्षीय एतवारिया देवी की मौत हो गई. इस मामले में पता चला कि परिवार को अक्टूबर-दिसंबर 2017 के दौरान राशन नहीं मिला था. नवंबर में उन्हें पेंशन भी नहीं मिली थी.
- 1 दिसंबर 2017 को गढ़वा में 64 वर्षीय प्रेमनी कुंवर की मौत के मामले में लोगों ने बताया कि सितंबर 2017 के बाद प्रेमनी की पेंशन किसी और के खाते में जाने लगी थी. नवंबर में आधार-आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन हो सका लेकिन राशन डीलर ने फिर भी उन्हें उस माह का राशन नहीं दिया.
- साल 2017 के अक्टूबर महीने में धनबाद, देवघर और गढ़वा में 3 लोगों की मौत की वजह कथित तौर पर भूख बताई गई. 21 अक्टूबर को झरिया में बैजनाथ रविदास ने दम तोड़ा तो ठीक इसके दो दिन बाद 23 अक्टूबर को मोहनपुर में रूपलाल मरांडी की मौत हो गई. इसी तरह गढ़वा में ललिता कुंवर की जान भी चली गई. इन सभी मौतों में एक कॉमन वजह सामने आई राशन का नहीं मिलना.
हालांकि, कथित भूख से मौत के इन आंकड़ों को शासन-प्रशासन नहीं मानता है. अधिकारियों के अनुसार राज्य में कई जनकल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिससे दूरदराज तक के लोग लाभांवित हो रहे हैं. ऐसे में भूख से मौत का सवाल ही नहीं उठता.
झारखंड में 3,31,942 फर्जी राशन कार्ड रद्द किये गए हैं. इसमें से 2,46,790 राशन कार्ड डुप्लीकेसी के आधार पर रद्द किये गए हैं यानी एक व्यक्ति का आधार नंबर व नाम से दो-दो राशन कार्ड पाए गए हैं. खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले विभाग के अनुसार 85,152 ऐसे राशन कार्ड भी इस क्रम में निरस्त कर दिए गए हैं, जिनसे राशन का उठाव नहीं किया जा रहा था. पिछले पांच महीने में 67,780 राशन कार्ड रद्द किया गया था.