रांची: झारखंड में मलेरिया के मच्छर मरते नहीं है! मलेरिया के मच्छर मारने से मर भी जाते हो पर मच्छरों को मारने के लिए जिस कीटनाशक का प्रयोग झारखंड में किया जाता है, उससे तो मच्छर बिल्कुल भी नहीं मरते. दरअसल, ये चौंकाने वाला खुलासा झारखंड सरकार और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मलेरिया रिसर्च (NIMR) के एक रिसर्च में हुआ है. इस रिसर्च में पाया गया कि झारखंड में मलेरिया के मच्छरों पर डीडीटी के छिड़काव का कोई असर नहीं होता.
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गौरतलब है कि झारखंड देश के उन राज्यों में से एक है, जहां हर साल बड़ी संख्या में मलेरिया के केस मिलते हैं. झारखंड वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल के आंकड़ें के अनुसार वर्ष 2018 से लेकर 30 जून 2023 तक 01 लाख 50 हजार 395 की संख्या में मलेरिया के मरीज मिले हैं. मलेरिया और मच्छरजनित बीमारियों को काबू में रखने के लिए सरकार डीडीटी 4% का बड़े पैमाने पर छिड़काव कराती है.
DDT का मच्छरों खासकर मलेरिया के वाहक मच्छर Anopheles Culicifacies और Anopheles Fluviatilis पर डीडीटी के प्रभाव को लेकर झारखंड सरकार और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मलेरिया रिसर्च (NIMR) ने पिछले कुछ महीनों में एक रिसर्च किया. इस रिसर्च के जो नतीजे आये हैं, वह ना सिर्फ चौकानें वाले हैं, बल्कि स्वास्थ्य महकमा की भी चिंता बढ़ाने वाले हैं.
रिसर्च रिपोर्ट का रिजल्ट: मलेरिया के वाहक मच्छरों Anopheles Culicifacies और Anopheles Fluviatilis पर डीडीटी के प्रभाव की जांच के रिजल्ट के अनुसार Anopheles Culicifacies मच्छर पर DDT सिर्फ 17% प्रभावकारी है. वहीं Anopheles Fluviatilis पर यह 35% असरकारक है. यानी सामान्य भाषा में समझें तो DDT के छिड़काव के बाद भी 100 में से Anopheles Culicifacies प्रजाति के 83 मच्छर जीवित रह जाते हैं, जबकि 100 में से 65 Anopheles Fluviatilis प्रजाति के मच्छर DDT के छिड़काव के बाद भी नहीं मरते हैं.
अपर मुख्य सचिव ने केंद्रीय सचिव को लिखा पत्र: इस रिसर्च रिपोर्ट के बाद झारखंड के अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) अरुण कुमार सिंह ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण को पत्र लिखा है. इस पत्र के जरिए ना सिर्फ इस रिसर्च रिपोर्ट से उन्हें अवगत कराया गया है, बल्कि राज्य में मलेरिया उन्मूलन और नियंत्रण के लिए DDT की जगह दूसरा प्रभावकारी कीटनाशक उपलब्ध कराने का भी आग्रह किया गया है.
अधिकारियों को विशेष निर्देश: राज्य के वेक्टर बोर्न डिजीज के नोडल अधिकारी डॉ बीरेंद्र कुमार सिंह ने DDT का मलेरिया के वाहक मच्छरों पर घटते प्रभाव की रिपोर्ट आने के बाद विशेष बैठक की. इस बैठक में उन्होंने मच्छर जनित बीमारियों जैसे मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया को लेकर विशेष निर्देश दिए हैं. मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी का प्रयोग, पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनने और जलजमाव नहीं होने देने सहित कई जानकारियां IEC के माध्यम से जन-जन में पहुंचाने के निर्देश दिए हैं.
कोई पैनिक स्थिति नहीं: डॉ बीरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि अभी तक राज्य में डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया नियंत्रण में है. इसे लेकर कोई पैनिक स्थिति नहीं बनी है. उन्होंने कहा कि NIMR के साथ मिलकर किये गए रिसर्च से साफ हो गया है कि DDT राज्य में मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों पर कारगर नहीं रह गया है, क्योंकि लगातार इस्तेमाल करने से मच्छरों ने अपने अंदर DDT के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लिया है.
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DDT की जगह दूसरे कीटनाशक की जरूरत: वहीं NIMR के रिम्स स्थित मलेरिया क्लिनिक के डॉ एन राजेश कुमार राव ने कहा कि इस तरह के रिसर्च का फायदा पूरी सोसाइटी को मिलता है. इससे यह पता चलता है कि मच्छरों को मारने के लिए जिस कीटनाशी का हम इस्तेमाल करते हैं, वह कितना असरदार है. मलेरिया के वाहक मच्छरों पर DDT के असर संबंधी रिसर्च के नतीजे बताते हैं कि झारखंड में मच्छरों ने DDT के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बहुत हद तक विकसित कर लिया है. ऐसे में अब मच्छरों पर नियंत्रण के लिए DDT की जगह किसी अन्य प्रभावकारी कीटनाशी पर विचार करना होगा.